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सीएम हेमन्त सोरेन का जनपक्ष में 5 संकल्प 

September 27, 2022 by najhma Leave a Comment

समस्याओं के हल निकले से सभी वर्ग में खुशी है. जनता सीएम का आभार जाता रहे हैं. आभार स्वीकार करते हुए सीएम हेमन्त जन पक्ष में हमेशा पाँच संकल्प दोहरा रहे हैं.

झारखण्ड : झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा सिर से राज्य व जनता सभी समस्याओं का स्थाई हल निकाला जा रहा है. चुनावों के दौरान जनता से किए वादे को एक-एक कर निभाते देखे जा रहे हैं. झारखण्ड की संघर्षशील जनता के समस्याओं के हल निकले के कारण सभी वर्ग व समुदायों में खुशी है. विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सभी मुख्यमंत्री का धन्यवाद ज्ञापन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री सभी मंचों से न केवल राज्य की जनता का आभार सहर्ष स्वीकार कर रहें हैं. कमोवेश हर मंच से जन पक्ष में मुख्यतः पाँच संकल्प मजबूती दोहराते देखे जा रहे हैं. मुख्यमंत्री लगातार राज्य की जनता को एक जुट होने का आह्वान कर रहें हैं और राज्य के विकास में भागीदार बनने का अपील कर रहे हैं. और हर वर्ग एक स्वर में हामी भी भरते देखे जा रहे हैं. 

संकल्प न. 1 – राज्य वासियों का सुनिश्चित होगा सामाजिक संकल्प 

देश भर में कमर तोड़ती महंगाई के बीच हेमन्त सरकार द्वारा सबसे पहले अपनी गरीब जनता की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की गई. ज्ञात हो, सर्वजन पेंशन योजना के तहत राज्य के लाखों गरीब, जरुरतमन्द, बुजुर्ग, विधवा, एकल, परित्यक्त महिला, दिव्यानग को पेंशन मुहैया कराई गई है. इसके उपरांत सीएम द्वारा राज्य के सरकारी कर्मियों के भविष्य को संरक्षित किया गया. सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना लागू की गई. 

इस संदरदर्भ में सीएम द्वारा कहा गया कि सरकारी कर्मियों का राज्य के विकास में अहम योगदान होता है. और रिटायरमेंट के बाद इन कर्मियों का पेंशन ही सबसे बड़ा सहारा होता है. यह उनके बुढ़ापे की लाठी होती है. जिससे वह मान-सम्मान के साथ अपना बुढ़ापा व्यतीत करते हैं. ऐसे में यदि उनका भविष्य ही सुरक्षित ना हो तो वह कैसी राज्य विकास में शत-प्रशीत योगदान दे सकता है. मसलन, राजकोष पर तमाम आर्थिक बोझों के बीच भी पुरानी पेंशन लागू की गई है. 

संकल्प न. 2 – राज्य के संसाधन पर स्थानीयों का पहला हक 

झारखण्ड के प्रति सीएम का मानना है कि राज्य न तो गरीब है और ना ही राज्य में संसाधनों की कोई कमी है. यहां के संसाधनों से दूसरे राज्यों की आर्थिक स्थति मजबूत होने के कई प्रमाण सामने हैं. हमारे राज्य के लोग मेहनतकश है. लेकिन पूर्व के सत्ताओं द्वारा मकड़जाल में फंसा कर राज्य को गरीब बना दिया गया है. राज्य की जनता को उनका हक और अधिकार मिलन चाहिए. और हमारी सरकार इस मुद्दे पर काफी गंभीर है. 

राज्य के संसाधनों पर आदिवासियों और मूल वासियों का पहला हक है. और हमारी सरकार उन्हें यह देने का सिलसिला शुरू कर चुकी है. और झारखण्ड के विकसित होने तक यह कवायद जारी रहेगा. ज्ञात हो, इसी कड़ी में हेमन्त सरकार द्वारा स्थानीयों के लिए निजी नियुक्तियों में 75% आरक्षण सुनिश्चित किया गया है. और अब 1932 वर्ष काल आधारित स्थानीयता व नियोजन नीति पिछड़ों के लिए 27 % आरक्षण सुनिश्चित करने की दिशा में मजबूती से बढ़ चली है.  

संकल्प न. 3 – हेमन्त सरकार सबकी सुनेगी सबकी करेगी 

मुख्यमंत्री द्वारा कई मंचों लगातार कहा गया है कि उनकी संवेदनाएं राज्य के हर वर्ग और हर तबके के प्रति समान हैं. वह राज्य के हर वर्ग के चहरे पर मुस्कान लाना चाहते हैं. सीएम का स्पष्ट कहना है कि उनकी सरकार सभी की सुनेगी और सभी की करेगी. इस संकल्प के साथ उनकी सरकार सभी के कल्याण और विकास के लिए लगातार कार्य कर रही है. 

ज्ञात हो, राज्य में हेमन्त सरकार द्वारा शुरू ही योजनाओं की सराहना देश के साथ विदेशों में भी हो रही है. अन्य देश भी राज्य सरकार की योजनाओं में सहयोग करने हेतु स्वयं आगे आए हैं. निश्चित रूप से इसका लाभ राज्य वासियों को मिल रहा है और आगे भी मिलेगा. और इस दिशा में और तेजी से साथ कार्य करने हेतु सीएम द्वारा जनता से सहयोग की अपील की गई है. 

संकल्प न. 4 – झारखण्ड विकास में निर्धारित है लक्ष्य – नहीं रुकेंगे 

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड ने सौर्य ऊर्जा, खेल, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, उद्योगिकीकरण, इतिहास, आदिवासी, दलित, पिछड़ा कल्याण व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती की दिशा में नए सिरे से सधे कदम बढ़ाया है. सरकार को लगभग हर दिशा में सफलता भी मिल रही है. राज्य को कई उपलब्धियां भी हासिल हुई है. जो राज्यवासियों को गौरवावित करने वाली रही है. 

इस संदर्भ में सीएम सोरेन का कहना है कि राज्य के विकास के लिए उनकी सरकार द्वारा लक्ष्य निर्धारित किया गया है. उनके राह में अब चाहे कितने भी रोड़े आए, वह न भटकेंगे और ना ही रुकेंगे-थकेंगे. वह हर हाल में आगे बढ़ेंगे और राज्य को एक विकसित राज्य बनाएंगे. इस कड़ी में हम राज्य वासियों को पूरे मान सम्मान के साथ हक और अधिकार दिया जा रहा हैं. 

संकल्प न. 5 – सड़कों पर अब और आंदोलन नहीं – शांति से समस्याओं का होगा समाधान

ज्ञात हो, पूर्व की भाजपा सत्ता काल में लगभग राज्य का हर वर्ग सड़कों पर आंदोलन करने को विवश रहा. और इस क्रम में झारखंड के बेटे ही नहीं बेटियों ने भी अपनी पीठ पर लाठियाँ खाई है. लेकिन न ही उनकी समस्याओं का समाधान हुआ और ना ही उनकी मांगें पूरी हुई. राज्य में हर तरफ अशान्ति का वातावरण रहा. लेकिन हेमन्त शासन में स्थिति बदली है, जनता को उनके हक अधिकार मिले हैं जिससे राज्य शांति से अपने विकास हेतु सोच पा रहा है. 

इस संदर्भ में सीएम हेमन्त का कहना है कि सरकार को सेवा दे रहे किसी भी कर्मी को अपनी समस्याओं को लेकर सड़कों पर नहीं उतरना पड़ेगा. जिस प्रकार हमारी सरकार ने अधिकांश कर्मियों की जायज मांगों को संवेदना के साथ पूरा किया है आगे भी करती रहेगी. जिससे अब किसी भी वर्गीय समस्या के मद्देनजर जनता को सड़कों पर आंदोलन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. शेष यथोचित समस्याओं का निराकरण करने की दिशा में भी सरकार बढ़ चली है.

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झारखण्ड : सीएम की प्राथमिकता में बुजुर्ग, बुद्धिजीवी व छात्र भी

September 22, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : सीएम बुजुर्ग, ग्राम प्रधान व बुद्धिजीवी के अनुभव को राज्य विकास में सदुपयोग करने का किया ऐलान. साथ ही भूत महल बन चुके छात्रवासों को बना रहे हैं छात्रों के रहने लायक. कई नई सुविधाएं भी कराई जा रही है मुहैया.

रांची : झारखण्ड के विकास व मजबूती हेतु सीएम की प्राथमिकता में बुजुर्ग, बुद्धिजीवी, छात्र समेत सभी उम्र के लोग हैं. एक तरफ वह अनाथ बच्चों तक की सूद लेते हैं तो दूसरी तरफ ग्राम प्रधान, छात्र, युवा, कर्मचारी, किसान व मजदूर, लगभग सभी उम्र-वर्ग के लोगों की सस्याओं को प्राथमिकता के साथ संज्ञान लेते दिखते हैं. इस कड़ी में सीएम द्वारा राज्य के ग्राम प्रधानों को कार्यक्रम आयोजित कर सम्मानित किया गया. जो निश्चित रूप से भारतीय सामाजिक संरचना को मजबूती देती है. 

सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा ग्राम प्रधानों का सम्मान

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा ग्राम प्रधानों का कार्यक्रम आयोजित कर सम्मान किया जाना दर्शाता है कि सीएम समाज निर्माण में बुजुर्गों व बुद्धिजीवों की महत्ता व भूमिका को समझते है. ज्ञात हो, पूर्व की सत्ता में बुजुर्गों व बुद्धिजीवी की महत्ता को लगभग समाप्त कर गई थी. उन्हें अपने मुख सील लेने पर विवश किया गया था. 

सीएम हेमन्त का मानना है कि राज्यवासियों के कल्याण में उतारी गई सरकार की योजनाएं व नीतियों की जानकारी अक्सर ग्रामीणों को नहीं हो पाती. ऐसे में ग्राम प्रधान समेत अन्य बुद्धिजीवी वर्ग यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि भारत में बुजुर्ग वर्ग अपने अनुभव से समाज को बेहतर दिशा देते आए हैं. यह परंपरा सदियों से चली या रही है.   

ग्राम प्रधानों का सम्मेलन आयोजित कर सरकार की नीतियों व योजनाओं की जानकारी देने का निर्देश 

झारखण्ड में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा राज्य के बुद्धिजीवियों के अनुभव का समाज व राज्य निर्माण में सदुपयोग करने की दिशा में बड़ा काम उठाया गया है. उनके द्वारा राज्य के संबंधित अधिकारियों व पदाधिकारियों को ग्राम प्रधानों का सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया गया है. सम्मेलन में ग्राम प्रधानों को सरकार की योजनाएं व नीतियों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

जिससे बुद्धिजीवी वर्ग गांव-गांव में जाकर डुगडुगी अथवा अन्य पारंपरिक माध्यमों से ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं व नीतियों से अवगत कराएंगे और लाभ दिलाना सुनिश्चित करेंगे. ज्ञात हो, साहिबगंज जिले के पतना प्रखंड स्थित धरमपुर मैदान में ग्राम प्रधान सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं इस तथ्य को उजागर किया गया. 

झारखण्ड को शिक्षित करने हेतु दिया जा रहा है खंडहर हो चुके छात्रावासों को पुनर्जीवन

झारखण्ड के मुख्यमंत्री के शब्द – ‘अब खंडहर में नहीं, सुसज्जित छात्रावासों में रहेंगे वंचित वर्ग के छात्र’. स्वयं ही झारखण्ड में शिक्षा व्यवस्था में हो रहे सुधारों के प्रयासों की ऐतिहासिक तस्वीर पेश करती है. ज्ञात हो, मानुवादी सत्ताओं के मंशा के तहत राज्य गठन के बाद से अपने जीर्णोद्धार का बाट जोह रहे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अलपसंख्यक छात्रावासों को हेमन्त शासन में फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है.

टूटे-फूटे फर्श, बरसात में टपकती छत, छित-विछित खिड़की-दरवाजे, सीलन भरी दीवार, कुल मिला कर जो छात्रावास छात्रों का नहीं बल्कि भूत का रहने वाला महल हो चुका था. ऐसे में कैसे इन वर्गों के छात्र यहाँ रह कर पढ़ाई कर सकते थे. मसलन, हेमन्त सरकार में एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों के छात्रों की शिक्षा-दीक्षा को सुलभ बनाने हेतु इन छात्रावासों में शौचालय, लाइब्रेरी, पानी और बिजली की व्यवस्था किए जाने से मंजर बदल गया है. जिससे इन वर्गों में शिक्षा को लेकर लगाव बढ़ रहा है. 

झारखण्ड में छात्रावासों की वर्तमान स्थिति 

हेमन्त सरकार में अबतक 593 छात्रावासों में से 234 छात्रावासों को नया स्वरूप दिया जा चुका है. इनमें अनुसूचित जनजाति के 42, अनुसूचित जाति के 96, पिछड़ा वर्ग के 47 और अल्पसंखयक की 92 छात्रावास शामिल हैं. 221 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य दो वर्ष में पूर्ण करना है. वित्तिय वर्ष 2022 -23 में 139 एवं 2023-24 में शेष 82 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है.  

छात्रावासों में अब होगी अनाज, रसोईया और सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था

मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश के बाद कल्याण विभाग के छात्रावासों के जीर्णोद्धार के साथ छात्रावासों में सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया की भी बहाली प्रक्रिया चल रही है. मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त पड़े मानवबल को यथाशीघ्र भरने का आदेश दिया गया है. वर्तमान में कुल 90 सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया कार्यरत हैं. 

पूर्व की सरकारों की व्यवस्था के तहत इन सरकारी छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को अपने घर से अनाज लाना पड़ता था. जो इन गरीब वर्गों के छात्र के लिए बड़ी समस्या थी. इनकी शिक्षा पर स्पष्ट प्रभाव डालती थी. लेकिन अब हेमन्त सरकार में इन छात्रावासों में छात्रों के लिए अनाज मुहैया कराने का निर्णय लेने के तरफ सरकार बढ़ चली है. जो निश्चित रूप से इन वर्गों के गरीब छात्रों के लिए कल्याणकारी कदम है. और संविधान के मौलिक मर्म को भी छूता है.

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झारखण्ड : SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक एवं कल्याण विभाग की समीक्षा  

September 20, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : SC, ST, OBC, एवं कल्याण विभाग की समीक्षा. 1 लाख लोन में गारंटी की जरूरत नहीं. प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि में बढ़ोतरी. आधार लिंक की अनिवार्यता समाप्त

रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृव में पहली बार राज्य में SC, ST, OBC व अल्पसंख्यक वर्ग के विकास में गंभीरता से कार्य हो रहे हैं. इस कड़ी में 19 सितंबर 2022 को अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग एवं कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिए. 

सीएम सोरेन द्वारा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि इन वर्गों के लाभुकों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुलभता से मिले. इन वर्गों के लिए कागजी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना समेत अन्य योजनाओं में अगर गारंटर की जरूरत होती है, तो वैसे लोगों को गारंटर बनाएं जो उनके पहचान के हो.  

1 लाख तक के लोन में गारंटी की बाध्यता समाप्त  

मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि sc-st-obc वर्गों के विकास के मद्देनजर मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना सरकार की एक महत्वकांक्षी योजनाओं है. इस योजना का मूल उदेश्य है कि इन वर्गों के लोगों को आसानी से लोन मिले. इस पर सरकार का विशेष ध्यान भी है. मुख्यमंत्री द्वारा बैठक में घोषणा किया गया कि अब एक लाख रुपए तक के लोन में इन वर्गों के लाभुकों को कोई गारंटी नहीं देनी होगी. 

राज्य में SC, ST, OBC वर्ग के लिए बनी  छात्रावासों की वर्तमान स्थिति 

राज्य में कुल 593 छात्रावास हैं. इनमें 234 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो चुका है. 138 छात्रावासों में जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. 221 छात्रावासों में जीर्णोद्धार कार्य शुरू होना शेष है. इस वर्ष 139 छात्रावासों का जीर्णोद्धार शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. इनमें  82 छात्रावासों का जीर्णोद्धार डीएमएफटी से किया जाएगा.

कल्याण विभाग समीक्षा -छात्रवृत्ति राशि में बढ़ोतरी व आधार लिंक की अनिवार्यता समाप्त 

प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि को बढ़कर क्रमशः 15 सौ रुपए, 2500 रुपए और 4000 रुपये कर दी गई है. इस वर्ष नवंबर के अंत तक छात्रवृत्ति की राशि का वितरण करने का निर्देश दिया गया है. छात्रवृत्ति के लिए बच्चे का बैंक में बचत खाता और आधार से लिंक होने की अनिवार्यता समाप्त कर कर दी गई है.

बच्चों के बैंक खाता नहीं होने की स्थिति में बच्चे के अभिभावक के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की राशि भेजी जाएगी. इसके लिए बच्चे के नामांकन के दौरान ही उसके अभिभावक का बैंक अकाउंट की पूर्ण विवरणी प्राप्त करने का निर्देश पदाधिकारियों को दिया गया है.

अनुसूचित जनजाति -जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा एवं कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में दिए गए महत्वपूर्ण निर्देश 

  • प्रमंडल स्तर पर एक बड़ा और सुसज्जित छात्रावास निर्माण का कंप्रिहेंसिव प्लान तैयार करें. इसके लिए न्यूनतम 5 एकड़ जमीन चिन्हित करने का निर्देश दिया गया.
  • मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत आवेदन करने वाले लाभुकों की अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाकर 50 वर्ष कर दिया गया है. साथ ही इस वित्त वर्ष में इस योजना का बजट एक सौ करोड़ रुपए कर दिया गया है.
  • राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल बनाने का निर्देश दिया गया. इस पोर्टल पर विद्यार्थियों के शिक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही इसी पोर्टल में विद्यार्थियों के शिकायतों का ऑनलाइन निपटारे की व्यवस्था होगी.
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत अब जिला स्तर पर 25000 रुपए तक की सहायता राशि स्वीकृत करने की शक्ति प्रदान की गई है. पहले यह सीमा मात्र 10 हज़ार रुपये थी.
  • अनाथ बच्चों को गोद लेने वाले परिवारों को अनाथ बच्चों की योजनाओं के साथ टैग करने का निर्देश दिया गया. यह अनाथ बच्चों को सोसाइटी प्रदान कराने हेतु किया गया है. इस योजना को पूरी संवेदनशीलता से लागू करने का निर्देश दिया गया.

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झारखण्ड : एक भी मूलवासी स्थानीयता के अधिकार से नहीं होंगे वंचित

September 19, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने हेतु विधेयक को स्वीकृति मिली. एक भी आदिवासी-मूलवासी व विस्थापित स्थानीयता के अधिकार से न हो वंचित – सीएम का विशेष जोर.

रांची : दिनांक: 14 सितम्बर, 2022 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के के अध्यक्षता में आदिवासी-मूलवासी व विस्थापितों के हक-अधिकार के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया गया. झारखण्ड सरकार मंत्रिमंडल द्वारा राज्य के निवासियों के लिए स्थानीयता के अधिकार परिभाषित करने वाली प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिली.

स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने वाली स्वीकृति प्रस्ताव में मुख्य आधार

  • खण्ड 1 – झारखण्ड राज्य की भौगोलिक सीमा में निवास करता हो एवं स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो.
  • खण्ड 2 – भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी, जो झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन वेश-भूषा संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.

झारखण्ड में निवास करता हो एवं पूर्वज का नाम 1932 या पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो

खण्ड-1 में वर्णित स्थानीयता का आधार के अनुसार स्थानीयता का अधिकारी होने के लिए पहली जरूरी शर्त है कि वह झारखण्ड राज्य की सीमा में निवास करता हो. और उसका व उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो. मसलन, जिसके पास उपरोक्त खातियान है वह स्पष्ट रूप से वह झारखण्ड का स्थानीय निवासी होगा.

भूमिहीन के मामले में ग्राम सभा द्वारा होगी स्थानीयों की पहचान

ज्ञात हो, पूर्व की सत्ताओं के खनन लूट नीतियों के अक्स में झारखण्ड प्रदेश विस्थापितों का प्रदेश भी बन कर रहा गया है. ऐसे में खण्ड 2 के माध्यम से सरकार द्वारा राज्य के विस्थापित अथवा भूमिहीन जनता के अधिकार संरक्षण को गंभीरता से लिया गया है. खण्ड 2 के अनुसार भूमिहीन के मामले में स्थानीय की पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी. जिसका आधार झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन, वेश-भूषा, संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.


मसलन, पहला खण्ड जहां राज्य के खातियान धारियों को सम्मान करता है तो वहीं दूसरा खण्ड राज्य में जमीन लूट के अक्स में स्थानीयों को राज्य से बेदखल करनी वाली मनुवादी मंशा पर जबरदस्त चोट करता है. और राज्य के विस्थापित मूलवासी को स्थानीय होने के अधिकार से सम्मानित करता है. हालांकि, दोनों खण्ड में निहित प्रावधानों को और स्पष्ट व सरलीकरण करने पर चिंतन-मंथन हो रहा है.

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Hemant Soren : मेरी दिल्लगी कुर्सी नहीं राज्य की सवा तीन करोड़ जनता है

August 30, 2022 by najhma Leave a Comment

हेमन्त सोरेन : जिस देश का केंद्र सरकार राज्य सरकारों से लड़ाई कर वहाँ की लोकतांत्रिक, चुनी हुई सरकारों को गिराने की साजिश कर रहा हो. उस देश का भविष्य क्या हो सकता है अंदाज लगाया सकता है. 

रांची : पत्रकारों के सवाल पर झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा देश की एक गंभीर परिस्थिति पर चिंता जतायी गई. उनके द्वारा स्पष्ट कहा गया कि जिस देश का केंद्र सरकार राज्य सरकारों से लड़ाई कर रहा हो, वहाँ की लोकतांत्रिक, चुनी हुई सरकारों को गिराने की साजिश कर रहा हो. उस देश का भविष्य क्या हो सकता है इस तथ्य का अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में मुझे चिंता नहीं क्योंकि मेरी दिल्लगी कुर्सी नहीं राज्य की जनता है.

जाहिर है ऐसी परिस्थिति में कोई राज्य विकास पथ पर आगे कैसे बढ़ सकता है. और जब राज्य ही आर्थिक-सामाजिक तौर पर आगे नहीं बढ़ेगा तो देश का विकास कैसे संभव हो सकता है. और वह भी उस नाजुक परिस्थिति में जब देश की अर्थव्यवस्था कोरोना समेत अन्य केन्द्रीय नीतियों के अक्स में ऐतिहासिक निचली स्तर हो और देश की बेरोजगार जनता ऐतिहासिक महँगाई की मार से त्रस्त हो.  

व्यापारी वर्ग का काम ही खरीद-विक्री करना होता है – Hemant Soren

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि उन्हें दिल्लगी कुर्सी से नहीं बल्कि राज्य की सवा तीन करोड़ जनता से है. क्योंकि देश में व्यापारी वर्ग का शासन है. व्यापारी वर्ग का काम ही खरीद-विक्री करना होता है. जो स्पष्ट रूप से देश भर दिख रहा है और आगे भी दिखेगा. स्थिति यह है कि अब कुछ विधायक खुद ही बिकने को तैयार हैं. जो पकड़ा गए वह विलयन और जो नहीं पकड़ाए उनकी बल्ले-बल्ले. लेकिन हर किसी का किस्मत शिंदे जैसा नहीं होता. ऐसे में, मैं चिंतित नहीं हूँ क्योंकि मुझे कुर्सी से दिल्लगी नहीं राज्य की एससी-एसटी-ओबीसी समेत सभी सवा तीन सवा तीन करोड़ जनता से है.

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