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झारखण्ड : पूर्व सत्ताओं के मकड़जाल काट निकाले जा रहे समस्याओं का हल

September 21, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने संताल दौरे के दौरान कहा कि झारखण्ड में पूर्व सरकारों के मकड़जाल से उत्पन्न सभी समस्याओं के निकाले जा रहे हैं स्थायी समाधान. 

रांची : पूर्व सत्ताओं के मकड़जाल के अक्स में एक तरफ अलग राज्य बनने के बावजूद झारखण्ड की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है. तो वहीं दूसरी तरफ राज्य में हर वर्ग, कर्मचारी, अनुबंधकर्मी, युवा को समक्ष कई समस्याएं गहराती चली गई. नतीजतन, तमाम वर्ग आंदोलनरत रहे. लेकिन हेमन्त शासन में सभी समस्याओं के सिरे से स्थायी हल निकाले जा रहे हैं.

सीएम हेमन्त सोरेन ने संथाल दौरे के दौरान अपने वक्तव्य मे भी कहा कि हमारे शासन में, पूर्व सत्ताओं की नीतियों से राज्य मे फैली मकड़जाल से उत्पन्न सभी समस्याओं के स्थायी हल निकाले जा रहे है.

तेजी से तमाम मकड़जाल को काट निकाले जा रहे हैं समस्याओं के स्थायी हल 

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य व राज्यवासियों के हित में लगातार अहम निर्णय ले रही है. पारा शिक्षकों की समस्याओं का हल निकाल गया. सरकारी कर्मचारियों की वर्षों पुरानी लंबित मांग पूरी की गई. सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने का निर्णय लिया गया है. जेपीएसी को नियमावली मिली. एवं राज्य में वर्षों से रिक्त पड़े सरकारी पदों पर फिर से नियुक्तियां हो रही है. 

राज्य के पुलिसकर्मियों की क्षतिपूर्ति अवकाश की मांग पर भी सरकार द्वारा सहमति दी गयी है. आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के लिए सेवा शर्त नियमावली बनाने की मांग पूरी कर ली गई है. राज्य मंत्रिमंडल द्वारा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का भी निर्णय सरकार द्वारा ले लिया गया है. ऐसे ही कई अन्य समस्याओं के भी स्थायी हल निकालने के प्रयास हो रहे हैं. 

राज्य को उलझनों से निकालते हुए दिया जा रहा है विकास को गति -सीएम 

मसलन, हमारी सरकार राज्य की जनता के सभी जायज मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए समाधान निकालने का प्रयास कर रही है. सरकार को राज्य के हर वर्ग की सुख-दुख की चिंता है. हर मोर्चे पर हर वक्त हम राज्य की जनता के साथ खड़े हैं. जन समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. राज्य को सभी प्रकार के उलझनों से निकालते हुए विकास को गति दिया जा रहा हैं.

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झारखण्ड : एक भी मूलवासी स्थानीयता के अधिकार से नहीं होंगे वंचित

September 19, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने हेतु विधेयक को स्वीकृति मिली. एक भी आदिवासी-मूलवासी व विस्थापित स्थानीयता के अधिकार से न हो वंचित – सीएम का विशेष जोर.

रांची : दिनांक: 14 सितम्बर, 2022 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के के अध्यक्षता में आदिवासी-मूलवासी व विस्थापितों के हक-अधिकार के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया गया. झारखण्ड सरकार मंत्रिमंडल द्वारा राज्य के निवासियों के लिए स्थानीयता के अधिकार परिभाषित करने वाली प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिली.

स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने वाली स्वीकृति प्रस्ताव में मुख्य आधार

  • खण्ड 1 – झारखण्ड राज्य की भौगोलिक सीमा में निवास करता हो एवं स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो.
  • खण्ड 2 – भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी, जो झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन वेश-भूषा संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.

झारखण्ड में निवास करता हो एवं पूर्वज का नाम 1932 या पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो

खण्ड-1 में वर्णित स्थानीयता का आधार के अनुसार स्थानीयता का अधिकारी होने के लिए पहली जरूरी शर्त है कि वह झारखण्ड राज्य की सीमा में निवास करता हो. और उसका व उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो. मसलन, जिसके पास उपरोक्त खातियान है वह स्पष्ट रूप से वह झारखण्ड का स्थानीय निवासी होगा.

भूमिहीन के मामले में ग्राम सभा द्वारा होगी स्थानीयों की पहचान

ज्ञात हो, पूर्व की सत्ताओं के खनन लूट नीतियों के अक्स में झारखण्ड प्रदेश विस्थापितों का प्रदेश भी बन कर रहा गया है. ऐसे में खण्ड 2 के माध्यम से सरकार द्वारा राज्य के विस्थापित अथवा भूमिहीन जनता के अधिकार संरक्षण को गंभीरता से लिया गया है. खण्ड 2 के अनुसार भूमिहीन के मामले में स्थानीय की पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी. जिसका आधार झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन, वेश-भूषा, संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.


मसलन, पहला खण्ड जहां राज्य के खातियान धारियों को सम्मान करता है तो वहीं दूसरा खण्ड राज्य में जमीन लूट के अक्स में स्थानीयों को राज्य से बेदखल करनी वाली मनुवादी मंशा पर जबरदस्त चोट करता है. और राज्य के विस्थापित मूलवासी को स्थानीय होने के अधिकार से सम्मानित करता है. हालांकि, दोनों खण्ड में निहित प्रावधानों को और स्पष्ट व सरलीकरण करने पर चिंतन-मंथन हो रहा है.

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झारखण्ड : 14 September 2022 राज्य के लिए ऐतिहासिक दिन

September 15, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : राज्य के लिए 14 September 2022 का दिन ऐतिहासिक. इस दिन सीएम हेमन्त द्वारा मंत्रिपरिषद की बैठक में नियोजननीति, आरक्षण, आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका, शिक्षा व कृषि संबंधी लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय राज्य को दुर्गति से बाहर निकालेगी. 

रांची : झारखण्ड प्रदेश के लिए 14 September 2022 का दिन ऐतिहासिक रहा. हेमन्त शासन की मंत्रिपरिषद बैठक मे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. जो राज्य की मूल जनता के लिए ऐतिहासिक साबित होंगे. इस लेख में नियोजननीति, आरक्षण, आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका, शिक्षा व कृषि संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय शामिल है. 

नियोजन नीति आरक्षण से संबंधित विधेयक, 2022 की गठन को स्वीकृति

झारखण्ड की मूल जनता नियोजन नीति, आरक्षण अनुबंध के नाम पर 22 वर्षों से पूर्व की सत्ताओं द्वारा छली जाति रही है. लेकिन मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार में राज्य की तमाम समस्याओं के स्थायी हल सिरे से निकाले जा रहे हैं. और राज्य नए सिरे से गढ़ आगे ले जाया जा रहा है.

ज्ञात हो, विधान सभा चुनाव के पूर्व बतौर कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन राज्य की जनता से वादा किया था कि  राज्य की जनता उनके मंशा अनुकूल नियोजन नीति दिया जाएगा. और सरकारी नौकरी में झारखण्ड मूल के पिछड़ों को 27%, आदिवासियों को 28 %, दलित को 12% आरक्षण दिया जाएगा. लोहार-लोहरा, बड़ाईक-बडाइक नाम में त्रुटिवश जो जाति विशेष सुविधाओं से वंचित हैं, संशोधन कर उन्हें लाभ दिलाया जाएगा. 

इस कड़ी में 14 September 2022 को सकारात्मक निर्णय के आसरे मजबूत कदम बढ़ाया गया

  • झारखंड के स्थानीय निवासी” की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 के गठन की स्वीकृति दी गई.  
  • झारखण्ड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम, 2001 (यथा संशोधित) में संशोधन हेतु विधेयक, 2022 की स्वीकृति दी गई. 

आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका चयन एवं मानदेय समेत अन्य शर्त नियमावली-2022 को मिली स्वीकृति

झारखण्ड राज्य में पूर्व की बीजेपी सत्ता में मूलवासियों को अनुबंध के नाम बर्गलाया गया और वोट की खेती की गई. जब राज्य में आंगनबाड़ी सहायिका-सेविका समूह की माताओं, बेटियों, बहुओं द्वारा उस सत्ता से अपने अधिकार की मांग की तो बदले में उन्हें पीट पर लाठियाँ मिली. जो झारखण्ड प्रदेश की जनता के लिए सबसे शर्मनाक पल रहा. उस व्यक्त अन्य झारखण्डवासियों की भांति इनकी दूरदशा से विचलित हेमन्त सोरेन ने कहा था हमारी सरकार बनने पर इन्हें ससम्मान इनका हक दिया जाएगा. 

14 September 2022 आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका समूह के लिए भी ऐतिहासिक रहा 

  • झारखण्ड आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका चयन एवं मानदेय समेत अन्य शर्त नियमावली-2022 की स्वीकृति दी गई है. 
  • राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं लघु आंगनबाड़ी केन्द्रों में ताजा गरम पोषाहार पकाकर लाभुकों को उपलब्ध कराने हेतु राज्य योजनान्तर्गत गैस सिलिण्डर एवं कूकिंग स्टोव की आपूर्त्ति की योजना में LPG संयोजन तथा LPG सिलिण्डर की दर में संशोधन की स्वीकृति दी गई. 
  • आँगनबाड़ी केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण योजना अधीन राज्य के आँगनबाड़ी केन्द्रों एवं लघु आँगनबाड़ी केन्द्रों में लाभुकों को ताजा गरम पोषाहार उपलब्ध कराने हेतु बर्तनों एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु वाटर प्यूरीफायर के क्रय एवं आपूर्ति तथा सुदृढ़ संरचना उपलब्ध कराने हेतु केन्द्रों के अनुरक्षण, सुसज्जीकरण एवं रख-रखाव संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. 
  • आँगनबाड़ी केन्द्रों में उपस्थित होने वाले 03-06 वर्ष के बच्चों को गर्म पोशाक उपलब्ध कराने हेतु आपूर्ति योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति दी गई. 

शिक्षा के क्षेत्र में हेमन्त सरकार के लगातार बढ़ते कदम 

झारखण्ड राज्य एक आदिवासी, दलित, ओबीसी बाहुल्य गरीब राज्य है. मनुवाद विचारधारा से ग्रसित पूर्व की सत्ता में शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया. मर्जर के नाम पर गरीबों को शिक्षा देने वाले स्कूलों को बंद किया गया. लेकिन मौजूदा हेमन्त सत्ता में शिक्षा-व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर विशेष जो दिया गया है.   

हेमन्त सरकार में 14 September 2022 को शिक्षा के क्षेत्र में कई कदम बढ़ाए गए 

  • सी.सी.एल. द्वारा सी.एस.आर. मद से उपलब्ध करायी जाने वाली राशि से राँची विश्वविद्यालय परिसर, मोराबादी, राँची में 5000 की क्षमता का पुस्तकालय निर्माण हेतु 62,43,39,300/- रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई.
  • राज्य में New Education Policy, 2020 के कार्यान्वयन हेतु उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग अन्तर्गत वित्तीय नियमावली के नियम 235 को क्षांत करते हुए नियम 245 के तहत NICSI के Empanelled Agency “Pricewaterhousecoopers Private Limited” का मनोनयन के आधार पर चयन कर Project Management Unit के गठन की स्वीकृति दी गई. 
  • प्रस्तावित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, रॉची की स्थापना हेतु 120-150 एकड़ भूमि 99 वर्ष के दीर्घकालिक लीज पर उपलब्ध कराने हेतु Azim Premji Foundation एवं राज्य सरकार के मध्य MoU की स्वीकृति दी गई. 
  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के अंतर्गत Projet App Val Board (PAB) की 12वीं एवं 13वीं बैठक में स्वीकृत किये गये 10 नए मॉडल डिग्री कॉलेज के स्थापना हेतु पूर्व में राज्य स्कीम मद से स्वीकृत 10 नए महाविद्यालयों के लिए Funding Pattern में परिवर्तन करने की स्वीकृति दी गई. 

विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को मिली स्वीकृति  

  • विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के अन्तर्गत नवस्थापित डिग्री महाविद्यालयों में प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक, सह-प्राध्यापक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के पदों के सृजन तथा महाविद्यालयों में संकायों की स्वीकृति दी गई. 
  • कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के अन्तर्गत नवस्थापित डिग्री महाविद्यालय में प्राचार्य, सह-प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदों के सृजन तथा महाविद्यालयों में संकाय की स्वीकृति दी गई. 
  • विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध रिक्त पदों पर घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल का अवधि विस्तार दिनांक 31.03.2023 तक करने की स्वीकृति दी गई. 

हेमन्त सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूतीकरण हेतु कृषि क्षेत्र को बनाए जा रहा सुदृढ़  

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व वाली मौजूदा झारखण्ड सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूतीकरण पर विशेष जोर दिया गया है. इसी के कारण करोना महामारी के बीच भी राज्य अधिक नहीं डगमगाया और जनता में भुखमरी की स्थिति नहीं बनी. ज्ञात हो, पूर्व की सत्ता में आम दिनों में भूख से कई जनता की मौतें हुई. 

14 सितंबर को कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय 

  • झारखण्ड राज्य में कम वर्षा पात एवं कम फसल आच्छादन को दृष्टिपथ में रखते हुए राज्य में आकस्मिक एवं रबी फसलों के विस्तार हेतु कृषकों को आकस्मिक एवं रबी 2022-23 के फसलों हेतु 90% अनुदान पर बीज उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति दी गई. 
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का मॉडल अधिनियम प्रारूप के अनुसार कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम प्रारूप, 2017 को कतिपय संशोधन के साथ अंगीकृत करते हुए संशोधित झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2022 की स्वीकृति दी गई.

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BJP की राजनीति को झारखंडी माटी के लाल हेमन्त ने झारखण्ड में रसातल में पहुँचाया

September 10, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड में बाहरियों की बैशाखी पर खड़ी BJP की राजनीति को एक आदिवासी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मात खानी पड़ी है. BJP की राजनीति को रसातल में जाने के मुख्य रूप से तीन कारण हैं…

रांची : झारखण्ड में बाहरियों की बैशाखी पर खड़ी BJP की राजनीति को एक आदिवासी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मात खानी पड़ी है. BJP की राजनीत को रसातल में जाने के मुख्य रूप से तीन कारण हैं. पहला सांप्रदायिक राजनीति, दूसरा कॉर्पोरेटप्रस्त राजनीति और तीसरा मानुवाद मानसिकता से ग्रसित राजनीति. जो बीजेपी को न केवल झारखण्ड में बल्कि देश में पल-पल जनता से दूर कर रही है.

ज्ञात हो, झारखण्ड एक गरीब प्रदेश है और आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व जाति व्यवस्था के तौर पर हमेशा से ही इस राज्य का दोहन हुआ है. यही कारण है कि इस क्षेत्र के सतह पर झारखण्ड आंदोलन समेत कई आंदोलन दिखे है. चूंकि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा एक आंदोलन से उपजी राजनीतिक पार्टी है और इसकी विचारधारा धर्मनिरपेक्ष के साथ मूल जन समस्या और झारखंडी मानसिकता का स्पष्ट वकालत करती है, इसके साथ जन जुड़ाव है. 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा ज्यों-ज्यों झारखण्ड मुक्ति मोर्चा दल की इस विचारधारा को झारखण्ड के धरातल पर कुशलता से उतारा उतार जाने लगा है. त्यों-त्यों, एक तरफ झारखण्ड की जनता राहत महसूस करने लगी है और दूसरी तरफ बीजेपी की राजनीति झारखण्ड की जमीन पर चित होने लगी है. मौजूदा व्यक्त में प्रदेश में भाजपा की राजनीति को सीएम द्वारा लगभग रसातल में पहुंचा दिया गया है. 

धन बाल से मजबूत BJP की राजनीति को पटकनी देना कतई आसान नहीं था 

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सत्ता आते ही देश को कोरोना ने जकड़ लिया. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपनी कुशलता से प्रदेश को संकट से बाहर निकाला. लेकिन, बतौर मुख्यमंत्री हेमन्त को शेष कार्यकाल में लंबा सफर तय करना था. उन्होंने तेजी से अपने सधे कदम जन कल्याण की दिशा में बढ़ाया. लेकिन उनके सामने BJP की राजनीति रोड़ा बन खड़ी थी. नियोजन नीति के तरफ कदम बढ़ाने से हेमन्त सोरेन की मुश्किलें और बढ़ गई. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी आगे बढ़ने का सिलसिला जारी रखा. 

चूंकि झारखण्ड बीजेपी को यह भली भांति भान है कि हेमन्त सोरेन न केवल झारखंडी मूल मानुष के समस्याओं को दूर कर लेंगे, झारखण्ड को झारखंडी मानसिकता के अनुरूप नियोजन नीति भी समर्पित कर देंगे. ऐसे में उन पर केन्द्रीय शक्तियों के प्रभाव में भारत के संस्थानों के माध्यम से हमले की शुरुआत हुई. लेकिन मुख्यमंत्री इन सब रोडों की प्रवाह किए बिना जन पक्ष में फैसले लेते चले गए. और समस्याओं के स्थायी हाल निकलते रहे, यह सिलसिला अभी भी जारी है. 

सीएम हेमन्त के जुझारू व्यक्तिव से राज्य की जनता महसूस कर रही है राहत 

मुख्यमंत्री के जुझारू व्यक्तित्व से एक तरफ राज्य की जनता जहां राहत महसूस कर रही थी. तो दूसरी तरफ उनके दल के विधायकों, नेताओं व कार्यकर्ताओं में भी नई शक्ति का प्रसार हो रहा था. वह मजबूती से पार्टी की विचारधारा के साथ एक हो रहे थे. नतीजतन, जहां एक तरफ झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के साथ जन जुड़ाव मजबूत हुए, तो दूसरी तरफ BJP की राजनीति रसातल में जाती दिखी. 

असोक साम्राट के प्रिय बुद्ध ने दुनिया को सिखाया था कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं. और सीएम हेमन्त ने केवल इस मानसिकता से ओत-प्रोत झारखण्ड मुक्ति मोर्चा दल की विचारधारा को धरातल पर कुशलता उतारना शुरू किया है. इस भावना के साथ जैसे-जैसे सीएम हेमन्त और आगे बढ़ेंगे झारखण्ड राज्य वैसे-वैसे सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ता जाएगा.

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हेमन्त के फैसलों से झारखण्ड वासियों के बढ़ रहे हौसले 

September 9, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : हेमन्त के फैसलों से सभी समस्याओं का स्थायी हल निकल रहा है. और राज्य की जनता पहली बार राहत महसूस कर रही है और अब उनके हौसले बुलंद हैं. 

रांची : झारखण्ड के 22 वर्षों के इतिहास में पहली बार जन पक्ष में सिलसिलेवार तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा फैसले लिए जा रहे हैं. जिसे झारखण्ड के पूरे काल खण्ड में ऐतिहासिक रूप से स्वर्णिम काल माना जा सकता है. ज्ञात हो झारखण्ड एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा बाहुल्य राज्य है और गरीब राज्य भी है.

इस राज्य में सबसे लंबा शासन का निर्णायक काल बीजेपी की रही है. लेकिन जन अधिकार के मामले में, राज्य में हर वर्ग की समस्याएं हल होने के बजाए गहराती चली गई. लेकिन हेमन्त के फैसलों से सभी समस्याओं का स्थायी हल निकल रहा है. और राज्य की जनता पहली बार राहत महसूस कर रही है और अब उनके हौसले बुलंद हैं. साथ ही उन्हें नई राह दिखा रही है.

बीजेपी काल में गहरायी मूल समस्याओं का हेमन्त के नीतियों से निकला हल 

ज्ञात हो, बीजेपी के पूर्व की शासन कालों में बाहरियों को समर्पित नीतियों के अक्स में, एक तरफ राज्य के मूल वासियों की नियुक्ति अनुबंधकर्मी के तौर पर हुई तो दूसरी तरफ स्थायी सरकारी कर्मियों के पेंशन जैसे अधिकार को समाप्त कर उनके भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया गया. राज्य का हर वर्ग अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलनरत रहे. राज्य में सभी वर्गों के मूलवासियों का अधिकार हनन हुआ. राज्य में विस्थापन व गरीबी बढ़ी. 

लेकिन राज्य में झारखंडी जनता द्वारा चुनी गई मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन वाली सरकार में ऐसे तमाम समस्याओं का स्थायी हल सिरे से निकल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर पार शिक्षकों की समस्याएं का स्थायी निराकरण हुआ. राज्य कर्मियों की पुरानी पेंशन की मांग पूरी हुई. jpse को नियमावली मिली. वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियाँ हो रही है. 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति के तरफ सरकार बढ़ चली है. 

आदिवासी-दलित-ओबीसी वर्ग से संबंधित समस्याओं का सीएम के फैसलों से निकल रहा हल

झारखण्ड में बीजेपी के पूर्व शासनकाल में आदिवासी-दलित-ओबीसी समुदाय के साथ घोर अन्याय हुआ. निर्दोष आदिवासियों की नक्सल के नाम पर दमन हुआ. आदिवासियों की जमीनें जबरन चहते पूँजीपतियों को लूटायी गई. ईसाई के नाम पर इनके अधिकार छीने गए. cnt-spt ऐक्ट को सजिशन खत्म करने का कुप्रयास हुआ. आदिवासियों को वनवासी कह हिन्दू पौराणिक कथाओं के शब्द असुर से फिर जोड़ा गया. इनकी सामाजिक-पारंपरिक व्यवस्थाओं को हाँसिए पर धकेला गया.  

दूसरी तरफ मूल दलित समुदाय को राजनीतिक जमीन से दूर किया गया. आरक्षित संवैधानिक सीटों पर बाहरी फर्जी प्रतिनिधियों को बिठाया गया. जिससे आरक्षित पदों की मूल भावना बे-अर्थ हुई और अनुसूचित समुदाय अपने अधिकार से बेदखल हुए. वहीं राज्य के ओबीसी वर्ग के आरक्षण में कटौती हुई. जातियों से संबंधित रोजगार-धंधे खत्म हुए. सरकारी शिक्षा व्यवस्था लाचार किए जाने से इन वर्गों का भविष्य अंधकारमय हुआ. हेमन्त शासन में इनकी समायाओं का स्थायी हल निकाल इन्हें संवैधानिक अधिकार से जोड़ा जा रहा है.  

सीएम के निर्णयों से राज्य की महिला हो रही है आत्मनिर्भर 

राज्य में पहली बार हेमन्त सरकार में गंभीरता से महिलाओं को समाज में भागीदार बनाया जा रहा है. राज्य की महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा से जोड़ा गया है. महिलाओं को समर्पित कई योजनाएं चलायी जा रही है. सखी मण्डल की दीदियों को सामाजिक उत्थान में मजबूती से भागीदार बनाया गया है. महिला शिक्षा, रोजगार, न्याय, खेल से लेकर तमाम आयामों में नीतियों के माध्यम से विशेष सहूलियत दे मानुवाद के पितृ सत्ता को चुनौती हेमन्त सरकार द्वारा दी गई है. मसलन, झारखण्ड के 22 वर्ष के इतिहास में पहली बार हेमन्त के फैसलों से झारखण्ड वासियों के हौसले बढ़ते दिख रहे हैं.

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झारखण्ड – छह CM के ग्राफ में Hemant soren सबसे आगे 

September 7, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा बाहुल्य राज्य के 22 वर्षों के इतिहास में 6 CM के ग्राफ में Hemant soren का कार्यकाल मूल झारखण्ड की पृष्ठभूमि में सभी से बेहतर प्रतीत होता है. 

रांची : देश के संविधान के अनुसार भारतीय राज्य झारखण्ड का वास्तविक कार्यकारी प्राधिकरण मुख्यमंत्री के पास होता है. राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री नियुक्त होता है, जिनकी मंत्रिपरिषद विधानसभा के प्रति मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है. झारखण्ड एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा बाहुल्य राज्य है और गरीब राज्य भी है. ऐसे में राज्य के विकास में इन वर्गों के प्रति किसी भी मुख्यमंत्री की नीतियां अहम होती है. और राज्य के विकास का कारक भी होता है. लेख में मुख्यतः bjp और jmm के CM के ग्राफ का आकलन होगा.

झारखण्ड का इतिहास 22 वर्षों का है. और इस कालखण्ड में प्रदेश ने चार अर्धकालिक–पूर्णकालिक मुख्यमंत्री देखा. झारखण्ड प्रदेश में सबसे लंबा शासन बीजेपी के मुख्यमंत्रियों का रहा है. और वर्तमान में राज्य झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का शासन है. हेमन्त सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री हैं. चूंकि राज्य में बीजेपी द्वारा भारी राजनीतक उथल-पुथल मचायी जा रही है. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है दोनों दलों के CM के ग्राफ उनकी नीतियों के आधार पर, विकास की कसौटी पर आकलन हो. 

झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों की सूची –

SN.CM of JharkhandFromToparty
1Babulal MarandiNov 15, 2000Mar 17, 2003BJP
2Arjun MundaMar 18, 2003Mar 2, 2005BJP
3Shibu SorenMar 2, 2005Mar 12, 2005JMM
4Arjun MundaMar 12, 2005Sep 14, 2006BJP
5Madhu kodaSep 14, 2006Aug 23, 2008IND
6Shibu SorenAug 27, 2008Jan 18, 2009JMM
–President RuleJan 19, 2009Dec 29, 2009–
7Shibu SorenDec 30, 2009May 31, 2010JMM
–President RuleJun 1, 2010Sep 11, 2010–
8Arjun MundaSep 11, 2010Jan 18, 2013BJP
–President RuleJan 18, 2013Jul 12, 2013–
9Hemant SorenJul 13, 2013Dec 23, 2014JMM
10Raghuvar DasDec 28, 2014Dec 23, 2019BJP
11Hemant SorenDec 29, 2019PresentJMM
झारखण्ड के मुख्यमंत्रियों की सूची

बीजेपी दल के CM के कार्यकाल की प्रमुख नीतियाँ 

  • झारखण्ड के इतिहास में, बीजेपी काल में झारखण्ड के मूलवासी- आदिवासी वर्ग की न केवल अनदेखी हुई बाहरियों द्वारा राज्य में मूल वर्गों के अधिकारों का दोहन हुआ. 
  • आदिवासी-मूलवासी वर्ग के ज़मीनों का अधिग्रहण कर चाहते कॉर्पोरेट को खुश किया गया. 
  • राज्य में शिक्षा-व्यवस्था को चौपट किया गया, मर्जर के नाम पर स्कूलों को बंद किया गया. 
  • पलायन के दर में इजाफा हुआ. विस्थापन की समस्या गहरायी. 
  • ओबीसी वर्ग के आरक्षण में कटौती हुई. 
  • JPSC के लिए नियमावली तक नहीं बनाया गया. 
  • आदिवासियों वर्ग को वनवासी कह हिन्दू बनाने का प्रयास हुआ. 
  • दलित आरक्षित सीट पर बाहरी फर्जी जन प्रतिनिधि को थोपा गया. 
  • आदिवासियों की सुरक्षा कवच cnt, spt एक्ट को साजिशन कमजोर करने का प्रयास हुआ. 
  • अनुबंध पर मूलवासियों की बहाली ली गई और उनके भविष्य को गर्त में धकेला गया. 
  • बाहरियों को समर्पित नियोजन नीति धरातल पर उतार गया. 
  • क्षेत्रीय भाषाओं की अनदेखी हुई. महापुरुषों के सपनों को कुचला गया. 
  • राज्य के सपड़ा की लूट व दोहन हुआ. 
  • राज्य की महिलायें हाड़िया-दारू बेचने को विवश हुई. 
  • मानव तस्करी जैसे कोढ़ का बीजारोपन हुआ. 
  • राज्य में सांप्रदायिक तनाव बढ़े. 
  • राज्य में कृषि व लघु उद्योग सिरे के खत्म हुए. 
  • प्राकृतिक रूप से धनी राज्य कुपोषण की समस्या का शिकार हुआ और वातावरण असंतुलित हुआ.
  • निर्दोष आदिवासियों का नक्सल के नाम पर दमन हुआ.

मौजूदा CM के ग्राफ में JMM दल के Hemant soren की कार्यकाल की नीतियाँ 

  • झारखण्ड के इतिहास में JMM दल के मुख्यमंत्री में राज्य के आम जनता के प्रति संवेदनशीलता दिखी. 
  • बेहतर प्लानिंग से राज्य के ग्रामीण व दुर्गम इलाकों में पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं. 
  • अल्प संसाधन के बीच बेहतर करोना महामारी प्रबंधन. 
  • राज्य में अनुसूचित जनजाति-1672 , अनुसूचित जाति-682, पिछड़ा वर्ग -1180 लाभूक, दिव्यांग-70 , अल्पसंख्यक249 समेत सभी वर्ग के लाभूकों को लोन के माध्यम से आत्म निर्भर बनाया गया.
  • ‘मुख्यमंत्री’ से जुड़ी योजनाएं सभी वर्गों के शिक्षा-स्वास्थ्य-रोजगार को समर्पित दिखी. 
  • गंभीर बीमारियों में जनता तक पहुंची मदद, लाभूक में सरकारी कर्मी, श्रमिक व मध्यम वर्ग भी हुए शामिल. 
  • विलुप्त हो रहे जनजातीय भाषाओं को बचाने का प्रयास हुआ है. 
  • आदिवासी अस्मिता के प्रति सजग दिखी सरकार, सरना कोड लागू से लेकर परंपरा, इतिहास संरक्षण में मुख्यमंत्री स्वयं गंभीर.
  • सामाजिक सुरक्षा को लेकर सरकार दिखी गंभीर, धरातल पर कई योजनाएं उतारी गई.  
  • Safe And Responsible Migration Initiative [SRMI] का हुआ शुभारम्भ
  • वर्षों से लंबित रिक्त पदों पर युवाओं को सौंपा गया नियुक्ति पत्र. 
  • मुख्यमंत्री की नीतियों ने तोड़ा मनुवादी चक्रव्यूह महिलाओं को बनाया जा रहा है आत्मनिर्भर. 
  • नक्सल क्षेत्रों के युवा को “सहाय” योजना से जोड़ नए सिरे से भविष्य सवारने का प्रयास. 
  • झारखण्ड को खेल नीति, उद्योग नीति, पर्यटन नीति व jpse नियमावली दिए गए. 
  • शिक्षा की दिशा में मजबूती से बड़ा है झारखण्ड. मॉडल स्कूल, स्कालर शिप योजना, विदेशों में उच्च शिक्षा, प्रतियोगिता तैयारी, आदिवासी-दलित के हॉस्टलों की मरम्मत से लेकर सुविधाएं उपलब्ध कराने का हुआ है प्रयास. 
  •  पार शिक्षक की समस्याओं का निदान, पुरानी पेंशन बहाल, आगनबाड़ी सेविका सहायिका समूह जैसे तमाम अनुबद्ध कर्मियों की समस्याओं के निदान के तरफ सरकार बढ़ रही है. 
  • राज्यवासियों की लंबित मांग, 1932 वर्ष खातियान आधारित नियोजन नीति के तरफ सरकार बढ़ी चली है.
  • ओबीसी वर्ग के आरक्षण नीति को मजबूती से लागू करने की दिशा में बढ़ी है सरकार. 
  • आंदोलनकारियों को पेंशन, नियुक्ति व अन्य अधिकारों से सम्मानित किया गया है. 
  • मुख्यमंत्री स्वयं महिलाओं को राजनीति, खेल, सुरक्षा, नयाए, समाजिक सुरक्षा से लेकर तमाम आयामों में सुदृढ़ करने हेतु विशेष तौर पर गंभीर दिखे हैं. 
  • ऊर्जा, विशेषकर सोलर ऊर्जा के सुदृढ़ीकरण की दिशा में राज्य मजबूती से बढ़ रहा है.
  • फेहरिस्त और लंबी हम अगले लेख में पढ़ेंगे…

मसलन, तमाम तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है मूल झारखण्ड की आकांक्षाओं की पृष्ठभूमि पर 6 CM के ग्राफ में मौजूदा CM हेमन्त सोरेन की नीतियाँ व दृष्टिकोण सभी से बेहतर है.

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