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आरएसएस आइडियोलॉजी वाली भाजपा को क्यों “जोहार” जैसे ऐतिहासिक पहचान से परहेज 

June 10, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : सीएम का निर्देश – अधिकारी क्षेत्र में जनता को “जोहार” कह संबोधित करें. जोहार शब्द झारखण्ड का संस्कृतिक-ऐतिहासिक पहचान. आदिवासी-मूलवासी, सवतंत्रता सेनानी, महापुरुष सदियों से करते आ रहे हैं इस महान शब्द का इस्तेमाल.

रांची : झारखण्ड न केवल देश का जनजातीय बहुल, महान सांस्कृतिक-ऐतिहासिक विरासत संजोये जंगल में बसने वाला राज्य है. नतीजतन राज्य के सभी जिलों में जनजातीय, मूलवासी व बहुजन समाज की संस्कृति देखने को मिलती है. और राज्य के आदिवासी-मूलवासी, बहुजन जनता “जोहार”शब्द से एक-दुसरे व विजिटर्स का अभिनंदन जोश पूर्वक करते हैं. जिसका अर्थ “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय”. स्पष्ट शब्दों में कहें, तो “जोहार” शब्द झारखण्ड की ऐतिहासिक – सांस्कृतिक पहचान दर्शाती है. 

लेकिन विडंबना है कि प्रदेश भाजपा के नेता शायद ही “जोहार” शब्द प्रयोग अपने कार्यालय या  बोलचाल में उपयोग करते हैं. आरएसएस आइडियोलॉजी की पृष्ठभूमि वाली भाजपा और उनके नेताओं में शायद ही दिखता है, जब वह इस झारखंडी ऐतिहासिक-सांस्कृतिक शब्द का आम बोलचाल की भाषा में उपयोग करने की इच्छा दिखाये. यह संस्कृत केवल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन या उनके पार्टी के मंत्री-कार्यकर्ता के भाषणों या बोलचाल में दिखती है. 

झारखण्ड में धरती आबा के नाम पर बुलायी विश्वास रैली के मंच पर नहीं हुआ “जोहार” शब्द का उपयोग

झारखंड में  भाजपा का “जोहार” से परहेज महज चंद दिनों पहले भी दिखा. ज्ञात हो, 5 जून को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भाजपा के विश्वास रैली जैसे मंच पर जोहार शब्द से परहेज किया. यही नहीं राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास सहित भाजपा के तमाम प्रदेश स्तरीय नेता उस मंच पर उपस्थित थे. लेकिन आश्चर्य है कि जिस धऱती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर भाजपा ने यह विश्वास रैली आयोजित की थी, उसमें एक दो नेता छोड़कर प्रदेश के किसी बड़े नेता ने “जोहार” शब्द से भाषण शुरू नहीं किया, और किसी के द्वारा इसपर सवाल तक नहीं उठाया जाना दर्शाता है कि क्या भाजपा अन्य संस्कृति झारखण्ड पर थोपना चाहती है?

सीएम हेमंत का नवनियुक्त अधिकारियों को निर्देश, क्षेत्र भ्रमण में करें “जोहार” से संबोधन

झारखण्ड लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित कृषि सेवा वर्ग – 2 मूल कोटि के पद पर चयनित 129 नवनियुक्त पदाधिकारियों के बीच नियुक्ति पत्र बांटने के दौरान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे अपने संबोधन की शुरुआत “जोहार” शब्द से करें. मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त कृषि पदाधिकारियों से कहा कि झारखण्ड आदिवासी-मूलवास बहुल, बहुजन क्षेत्र है. यहां के लोगों के रगों में आत्मीयता और संवेदना भरी रहती हैं. वे जब क्षेत्र भ्रमण करें तो यहां के किसान भाईयों समेत तमाम जनता को “जोहार” कह कर संबोधित करें.

झारखंडी सबका कल्याण चाहते हैं

“जोहार” शब्द झारखण्ड समाज का संस्कृति हिस्सा है. राज्य के सभी आदिवासी-मूलवासी, तमाम बहुजन वर्ग  लोग इस शब्द का इस्तेमाल अपनी बोलचाल में करते हैं. बता दें कि इस शब्द से तात्पर्य है तमाम “सजीव और निर्जीव प्रकृति के अंगों की जय हैं” और “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय” हैं. मसलन, “जोहार” का अर्थ – “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय.” झारखंड की जनता इस का प्रयोग “सम्पूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए करती हैं”.

Filed Under: SC-ST-OBC Tagged With: #RSS, bjp, jharkhand, हेमंत सरकार, हेमंत सोरेन

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