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झारखण्ड : भाजपा व उसके नेताओं को आखिर क्यों खटक रहे सीएम हेमन्त सोरेन

May 9, 2022 by najhma Leave a Comment

चूँकि, सीएम हेमन्त सोरेन आदिवासी जननेता हैं. और लालू यादव सरीखे नेताओं की भांति इनकी विचारधारा भी लूटेरी व पुरुषवादी मानसिकता के बजाय गरीबों के हित में है. ओ माई गॉड, तो ऐसे में भाजपा की लूटेरी राजनीतिक चौसर पर हेमन्त सोरेन का खटकना बहुजन व सभी वर्गों के गरीब समझते हैं…

राँची : मौजूदा दौर में, झारखण्ड समेत देश में सीएम हेमन्त सोरेन का स्पष्ट अर्थ है सभी वर्गों के मूलवासियों के अधिकारों का संरक्षण. बहुजन समेत सभी वर्गों के भविष्य की रक्षा. ज्ञात हो, हेमन्त सोरेन का अर्थ झारखण्ड में भाजपा के 21 वर्षों के राजनीतिक इतिहास में, बाहरी घुसपैठ के मिली भगत से राज्य में उत्पन्न समस्याओं का स्थायी हल भी है. चूँकि हेमन्त सोरेन ही वह आखिरी जननेता-आस भी हैं, जिसके विचारधारा में झारखण्ड जैसे संसाधन संपन्न राज्य का विकास-भविष्य संभव है. मसलन, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विचारधारा व कार्यप्रणाली भाजपा जैसे बाहरी बैसाखी पर खड़ी दल के अस्तित्व के लिए खतरे के रूप उभरी है.

देश के प्राकृतिक संसाधन प्रदेश झारखण्ड में हेमन्त सोरेन जैसे आदिवासी मुख्यमंत्री सह जननेता का मौजूदा दौर में वास्तविक अर्थ-राज्य के सभी वर्गों की सरकारी-गैर सरकारी नौकरियों में 75% आरक्षण है. विस्थापित व रैयतों को एक करोड़ का ठेका बिना कोलेटरल. झारखण्ड के गरीब मूलवासियों के लिए सर्वजन पेंशन. आदिवासियों की पहचान सरना धर्म कोड. टाना भगतों के विचारधारा व उनकी समस्या का तारनहार. जेपीएससी. राज्य के युवाओं में बसे खेल की आस. तमाम गरीबों वर्गों की शिक्षा. महिला सशक्तिकरण की आस, रोजगार व केंद्र द्वारा हड़पे गए झारखंडी हक के प्रखर वकील के रूप में सामने आना भी भाजपा के लिए चुनौती बन कर उभरा है. 

भाजपा-संघ के लूटेरी राजनीतिक चौसर पर सीएम हेमन्त सोरेन जैसे जननेता का खटकना बहुजन व सभी ग़रीब समाज समझ सकते हैं

मसलन, चूँकि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एक आदिवासी नेता सह मुख्यमंत्री हैं. और बहुजन नेता लालू यादव – मुलायम सिह यादव व मायवती की भांति इनकी विचारधारा भी मनुवाद व पुरुषवादी मानसिकता के बजाय देश के बहुजनों व गरीबों के हित में स्पष्ट अभिव्यति है. ओ माई गॉड, तो ऐसे में भाजपा-संघ के लूटेरी राजनीतिक चौसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जैसे जननेता का खटकना बहुजन समाज व सभी वर्गों के गरीब समाज भली भांति समझ सकते हैं. 

उदाहरण के तौर पर आदिवासी नेता बंधू तिर्की के महज 6 लाख की अतिरिक्त संपत्ति का पत्ता सीबीआई नहीं लगा पाती है और उनकी विधायकी समाप्त हो जाती है. लेकिन वहीँ पूजा सिंघल जैसे मनुवादी अधिकारी को भाजपा शासन में क्लीन चीट मिल जाती है. जो देश के लिए भाजपा-संघ के विचारधारा की स्पष्ट व्याख्या हो सकती है.  

Filed Under: SC-ST-OBC Tagged With: jharkhand, हेमंत सरकार, हेमंत सोरेन

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