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SC-ST-OBC

झारखण्ड : SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक एवं कल्याण विभाग की समीक्षा  

September 20, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : SC, ST, OBC, एवं कल्याण विभाग की समीक्षा. 1 लाख लोन में गारंटी की जरूरत नहीं. प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि में बढ़ोतरी. आधार लिंक की अनिवार्यता समाप्त

रांची : मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृव में पहली बार राज्य में SC, ST, OBC व अल्पसंख्यक वर्ग के विकास में गंभीरता से कार्य हो रहे हैं. इस कड़ी में 19 सितंबर 2022 को अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग एवं कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा अधिकारियों को कई अहम निर्देश दिए. 

सीएम सोरेन द्वारा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि इन वर्गों के लाभुकों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुलभता से मिले. इन वर्गों के लिए कागजी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना समेत अन्य योजनाओं में अगर गारंटर की जरूरत होती है, तो वैसे लोगों को गारंटर बनाएं जो उनके पहचान के हो.  

1 लाख तक के लोन में गारंटी की बाध्यता समाप्त  

मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि sc-st-obc वर्गों के विकास के मद्देनजर मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना सरकार की एक महत्वकांक्षी योजनाओं है. इस योजना का मूल उदेश्य है कि इन वर्गों के लोगों को आसानी से लोन मिले. इस पर सरकार का विशेष ध्यान भी है. मुख्यमंत्री द्वारा बैठक में घोषणा किया गया कि अब एक लाख रुपए तक के लोन में इन वर्गों के लाभुकों को कोई गारंटी नहीं देनी होगी. 

राज्य में SC, ST, OBC वर्ग के लिए बनी  छात्रावासों की वर्तमान स्थिति 

राज्य में कुल 593 छात्रावास हैं. इनमें 234 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य पूरा हो चुका है. 138 छात्रावासों में जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है. 221 छात्रावासों में जीर्णोद्धार कार्य शुरू होना शेष है. इस वर्ष 139 छात्रावासों का जीर्णोद्धार शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. इनमें  82 छात्रावासों का जीर्णोद्धार डीएमएफटी से किया जाएगा.

कल्याण विभाग समीक्षा -छात्रवृत्ति राशि में बढ़ोतरी व आधार लिंक की अनिवार्यता समाप्त 

प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति की राशि को बढ़कर क्रमशः 15 सौ रुपए, 2500 रुपए और 4000 रुपये कर दी गई है. इस वर्ष नवंबर के अंत तक छात्रवृत्ति की राशि का वितरण करने का निर्देश दिया गया है. छात्रवृत्ति के लिए बच्चे का बैंक में बचत खाता और आधार से लिंक होने की अनिवार्यता समाप्त कर कर दी गई है.

बच्चों के बैंक खाता नहीं होने की स्थिति में बच्चे के अभिभावक के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की राशि भेजी जाएगी. इसके लिए बच्चे के नामांकन के दौरान ही उसके अभिभावक का बैंक अकाउंट की पूर्ण विवरणी प्राप्त करने का निर्देश पदाधिकारियों को दिया गया है.

अनुसूचित जनजाति -जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा एवं कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक में दिए गए महत्वपूर्ण निर्देश 

  • प्रमंडल स्तर पर एक बड़ा और सुसज्जित छात्रावास निर्माण का कंप्रिहेंसिव प्लान तैयार करें. इसके लिए न्यूनतम 5 एकड़ जमीन चिन्हित करने का निर्देश दिया गया.
  • मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत आवेदन करने वाले लाभुकों की अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाकर 50 वर्ष कर दिया गया है. साथ ही इस वित्त वर्ष में इस योजना का बजट एक सौ करोड़ रुपए कर दिया गया है.
  • राज्य के विद्यार्थियों के लिए एक पोर्टल बनाने का निर्देश दिया गया. इस पोर्टल पर विद्यार्थियों के शिक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही इसी पोर्टल में विद्यार्थियों के शिकायतों का ऑनलाइन निपटारे की व्यवस्था होगी.
  • मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत अब जिला स्तर पर 25000 रुपए तक की सहायता राशि स्वीकृत करने की शक्ति प्रदान की गई है. पहले यह सीमा मात्र 10 हज़ार रुपये थी.
  • अनाथ बच्चों को गोद लेने वाले परिवारों को अनाथ बच्चों की योजनाओं के साथ टैग करने का निर्देश दिया गया. यह अनाथ बच्चों को सोसाइटी प्रदान कराने हेतु किया गया है. इस योजना को पूरी संवेदनशीलता से लागू करने का निर्देश दिया गया.

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एक आदिवासी की आपबीती दर्शाती है भाजपा का आदिवासी समाज के प्रति संकीर्ण सोच

September 1, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : भाजपा नेत्री की आदिवासी बेटी से बर्बरता के मामले पीएम, गृहमंत्री, ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत! समेत किसी का भी माफीनामा या बयान ना आना भाजपा का आदिवासी समाज के प्रति संकीर्ण सोच दर्शाता है

रांची : झारखण्ड में एक आदिवासी बेटी की आपबीती में मनुवाद का घृणित बर्बरता का पैटर्न साफ तौर पर झलकता है. भारत में बहुजन समाज जात-पात से उत्पन्न त्रासदी को मनुवाद व्यवस्था की देन मानते है. ज्ञात हो, देश में सवर्ण जातियों द्वारा बहुजनों की प्रताड़ना का इतिहास पुराना है. और वर्तमान में भाजपा-संघ की फ़िलॉसफ़ी में यह पैटर्न दिखता है. क्योंकि एससी-एसटी-ओबीसी से संबंधित कई मामलों यह दिखाता है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासियों को अपमानित करना भाजपा की डीएनए में है.

ज्ञात हो, आदिवासी की बेटी के साथ भाजपा नेत्री सीमा पात्रा द्वारा रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी का क्राइम किया गया है. भाजपा नेत्री सीमा पात्रा द्वारा आदिवासी बेटी को बंधक बनाया जाना. जीभ से घर का फर्श साफ करवाया जाना, गर्म तवे से उसकी शरीर को दागा जाना, माल-मूत्र पिलाया जाना, मनुवाद के प्रताड़ित करने की पुराने टूल्स हैं. ऐसे टूल्स का जिक्र स्वयं बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा किया गया है. और मानुवाद के ऐसे त्रासदी से बहुजन समाज को बचाने के लिए संविधान में आर्टिकल 15 का प्रावधान किया गया है. 

ऐसे जघन्य अपराध करने वाले अधिकांश इन दिनों भाजपा में ही क्यों पाए जा रहे

ज्ञात हो, ऐसे जघन्य अपराध करने वाले अधिकांश लोग इन दिनों भाजपा के दल में ही पाए जा रहे हैं. झारखण्ड के मामले में भी अपराधी भाजपा की ही नेत्री है. संकीर्ण सोच से ग्रसित यह महिला भाजपा की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का प्रदेश संयोजक थी. इसके दो ही प्रमुख कारण हो सकते हैं. या तो भाजपा-संघ में इसकी ट्रेनिंग मिलती है या फिर ऐसे सोच वाले लोगों को ही भाजपा में नेतृत्व करने का मौका मिलता है. 

झारखण्ड के ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत दुबे द्वारा भी मामले कोई बयान ना आना भाजपा की संकीर्ण सोच दर्शाता है 

इस मामले में दिलचस्प बात यह है कि हमेशा की भांति न प्रधानमंत्री, ना ही गृह मंत्री और ना ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का ही इस मामले में कोई वक्तव्य आया है. जबकि पार्टी के मुखिया होने के नाते इन्हें देश के आदिवासियों से माफी प्रथम पंक्ति में खड़ा हो माफी मांगनी चाहिए थी. यही नहीं इस मामले में न तो झारखण्ड के ज्ञानी! बाबा श्री श्री निशिकांत दुबेऔर ना ही बाबूलाल मारांडी सरीखे नेताओं का कोई ठोस बयान सामने ना आना भाजपा का आदिवासी समाज के प्रति संकीर्ण सोच दर्शाता है. 

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jharkhand tribals के सवाल उठाने पर झारखण्ड सरकार को अस्थिर करने का प्रयास

August 29, 2022 by najhma Leave a Comment

यह सोचने की बात है कि जिन jharkhand tribals (आदिवासियों) की जमीन पर देश का सबसे ज्यादा खनिज है, वे इतने गरीब क्यों? विस्थापित क्यों? हक-अधिकार के सवाल उठाने पर हेमन्त सोरेन को अस्थिर करने का प्रयास!

Jharkhand news in hindi : jharkhand tribals (आदिवासी) सुरक्षा विषय पर जन सम्मेलन खूब आयोजन होते हैं. लेकिन वहीं एक आदिवासी सीएम केन्द्रीय सत्ता को खटकता है. उस सीएम को हटाने के लिए संविधान से खिलवाड़ होता है. आदिवासियों के हक-अधिकार पर प्रहार होते हैं. आदिवासियों को सरना कोड मुहैया कराने के बजाय जबरन उनकी पहचान हिंदू धर्म से जोड़ने का प्रयास होता है. उन्हें tribals (आदिवासी) के बजाय वनवासी कहा जाता है. उनकी सुरक्षा कवच cnt-spt कानों पर हमले होते हैं.

झारखण्ड में जिन आदिवासियों (tribals) की जमीनों में खनीज की भरमार है उन्हें पूर्व की सत्ता में बेदखल करने का प्रयास हुआ. उनके जनआंदोलनों को दबाया गया। उन्हें जेल में डाल दिया गया. मौजूद दौर में जब एक आदिवासी मुख्यमंत्री hemant soren (हेमन्त सोरेन) द्वारा जब tribals (आदिवासी) अधिकार सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है तो केन्द्रीय सत्ता द्वारा उस सीएम को पद से हटाने का कुप्रयास हो रहा है. 

https://twitter.com/HemantSorenJMM/status/1563169417252720640?s=20&t=TYDnGEAGMHMN3zDOoWOFUQ

jharkhand tribals -आदिवासियों के प्रहरी हेमन्त सोरन को अस्थिर करने का प्रयास 

ज्ञात हो, hemant soren (हेमन्त सोरेन) की विधानसभा की सदस्यता रद्द होने की खबरें ट्रेंड कर रही है. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खनन पट्टा मामले में निर्वाचन आयोग द्वारा मंतव्य झारखण्ड राजभवन को भेजा गया है. लेकिन, राजभवन द्वारा निर्णय सार्वजनिक करने में विलंब होने के कारण राज्य में अस्थिरता पैदा होने की आशंका बढ़ चली है. भ्रम-अफवाह को बढ़ावा मिल रहा है. विधायकों के संभावित खरीद-फरोख्त जैसे भ्रम को हवा मिल रही है. 

राजभवन के निर्णय में विलंब को लेकर जन चर्चा में बातें आम हो चली है कि यह दुर्भावना से ग्रसित प्रतीत हो रहा है. नतीजतन, सत्ता पक्ष के विधायक खूँटी में सैर-सपाटा कर रहें तो उनकी छत्तीसगढ़ जाने की खबरें आ रही है. झारखण्ड में राजनीतिक उथल पुथल को राज्य की जनता, गिरीडीह के मधुबन में चल रही बीजेपी के तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण शिविर से जोड़ कर देखने लगी है. मसलन, राजभवन पर सवालों का भार बढ़ता जा रहा है.

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झारखण्ड : सभी राज्यवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाएंगे -सीएम हेमन्त सोरेन

August 26, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : हम एकजुट रहेंगे तो राज्य में अंधेरा जरूर छटेगा. हम झारखण्ड के माटी का बेटा हैं, डरना नहीं, लड़ना जानते हैं…

झारखण्ड : विकास मेला सह उद्घाटन शिलान्यास एवं परिसंपति वितरण कार्यकरम में मुख्यमंत्री ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में बरसों चलने वाले आंदोलन के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए. उनकी याद में 2 मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि दी. कहा हम एकजुट रहेंगे तो राज्य में अंधेरा जरूर छटेगा. हम झारखण्ड के माटी का बेटा हैं, आदिवासी हैं, डरना नहीं जानते, लड़ना जानते हैं. और हम राज्यवासियों को उनका अधिकार देकर उनके चेहरे पर मुस्कान लाएंगे.  

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने सम्बोधन में कहा कि बरसों से संघर्षरत फायरिंग रेंज के विरोध में जो आप लोगों ने तकलीफ झेली, जो वक्त गुजारा. उस एहसास को, उस तकलीफ में हमारे आदरणीय गुरुजी ने भी अपना योगदान दिया था. दमनकारी सरकारों की नीतियों के खिलाफ विरोध करने का जज्बा कायम रहे इसलिए शुरुआत उन शहीदों को श्रद्धांजलि दे कर रहा हूँ.

हमारा राज्य में ऐसी कई जगह हैं जहाँ पहले किसी सरकार की नजरें नहीं जाती थी, न उनकी आवाज जाती थी. मैं यह नहीं कहता कि मेरे पास जादू की छड़ी है जिससे सब कुछ बदल दूँगा. लेकिन हम धीरे-धीरे राज्य के समस्याओं के स्थायी हल निकालने की दिशा में चल पड़े हैं. इसलिए आपने एहसास किया होगा कि सरकार आपके द्वार के माध्यम से सभी पदाधिकारियों को आपके दरवाजे तक पहुँचाया गया. राज्य के कर्मचारियों को अधिकार दिए जा रहे हैं. ऐसे ही हमारी सरकार सभी राज्यवासियों के चेहरे पर मुस्कान लाएंगे. 

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झारखण्ड : जनजातीय समुदाय की मिटती पहचान को बचाने में हेमन्त के कुशल कदम

August 10, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : जनजातीय समुदाय की मिटती पहचान को बचाने के प्रयास में न केवल झामुमो विचारधारा की दृढ़ इच्छाशक्ति, एक आदिवासी मुख्यमंत्री के भीतर निहित सामाजिक संघर्ष कुशलता से आगे बढ़ता भी दिखता है…

रांची। देश में हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना के बीच हासिए पर खड़े आदिवासी, दलित, पिछड़ों व गरीब वर्ग की पहचान को बचाने की कवायद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का कार्यकाल करता दिखता है. और इस मंशा के अक्स में झारखण्ड में आयोजित जनजातीय महोत्सव, निश्चित रूप से झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के विचारधारा की दृढ़ इच्छाशक्ति और एक आदिवासी मुख्यमंत्री के भीतर निहित सामाजिक संघर्ष के जुझारूपन कुशलता से आगे बढ़ता दिखता है. 

जनजातीय भाषाओं, संस्कृति और परंपराओं के विशेषज्ञों की चर्चा में गूँजे कि “किवंदती किताबों की कहानियों का अहम हिस्सा बन जाती हैं, क्योंकि किवंदती, कथाएं झुर्रियों से झांकती जुबां से आती हैं, जिन्होंने पल-पल प्रकृति में खुद को महसूस किया है और प्रकृति को ही अपना इष्ट माना है”. और जनजातीय साहित्य, इतिहास, दर्शन को मनुष्य जाति के विकास में जनजातीय समुदाय के महत्व का सच सामने रखा जाए, तो निश्चित रूप से मानवता व मनुष्यता को परिभाषा मे कार्यकरम को मील का पत्थर माना जा सकता है. 

ट्राइबल लिट्रेचर व ट्राइबल एन्थ्रोपोलॉजी सेमीनार 

आयोजित सेमीनार में जनजातीय परंपराओं के जानकार द्वारा जनजातीय समुदाय का पहाड़ों, नदियों और जंगलों से अटूट रिश्ता पर व्याख्यान. प्रो. जनारदन गोण्ड (प्रयागराज), कविता करमाकर (असम), संतोष कुमार सोनकर, बिनोद कुमार (कल्याण, मुम्बई), दिनकर कुमार (गुवाहाटी), अरूण कुमार उरॉव (जेएऩयू, नई दिल्ली), हेमंत दलपती (ओडिशा), सानता नायक (कर्नाटक), रूद्र चरण मांझी (बिहार), डॉ. देवमेत मिंझ (छत्तीसगढ़), कुसुम माधुरी टोप्पो, महादेव टोप्पो और प्रो. पार्वती तिर्की (राँची) आदि साहित्य के विद्वानों की जनजातीय औरा पर चर्चा एक मंच पर संभव हो, तो निश्चित रूप से यह तस्वीर हेमन्त सोरेन की कुशलता व ईमानदार प्रयास को दर्शाता है.

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जनजातीय महोत्सव 2022 : देश को जनजातीय परंपरा से घुलने-मिलने का मौका देगा

August 5, 2022 by najhma Leave a Comment

मुख्यमंत्री : “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव” का भव्य आयोजन राज्य के लिए गौरव की बात है। जनजातीय समुदाय के कई अनछुए ऐतिहासिक पन्ने तक प्रकाश पहुंचेगा। जनजातीय समाज के आवाज को देश के पटल पर मंच मिलेगा। 

रांची : झारखण्ड गठन के बाद राज्य में पहला मौका है जब 9-10 अगस्त 2022 को “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव” मनाया जाएगा. यह कार्यक्रम जहां जनजातीय समुदाय के समृद्ध एतहासिक, सामाजिक व पारंपरिक जीवन शैली पर प्रकाश डालेगा तो वहीं गैर जनजातीय वर्ग को इन समुदायों से घुलने-मिलने व समझने का मौका प्रदान करेगा. झारखण्ड जनजातीय बहुल राज्य है ऐसे में यह महोत्सव राज्य वासियों के लिए गौरव की बात है. ज्ञात हो, इस कार्यक्रम में झारखण्ड समेत देश भर के राज्यों से जनजातीय समुदाय व लोग भाग लेंगे. 

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा महोत्सव के प्रतीक चिन्ह का अनावरण

झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महोत्सव के प्रतीक चिन्ह अनावरण के दौरान कहा कि हमारी सरकार जनजातीय बाहुल्य राज्य, झारखण्ड के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है. इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों को हमारी सरकार और मजबूती प्रदान करती रहेगी. ज्ञात हो, झारखण्ड के जनजातीय समुदाय ने देश समेत विश्व में अपनी अलग इतिहास व पहचान बनायी है. मसलन, इस समुदाय की सभ्यता-संस्कृति को निर्णायक मंच देने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया है. और “झारखण्ड जनजातीय महोत्सव-2022” का आयोजन इस उदेश्य में मील का पत्थर साबित होगा. 

राज्य के कोने-कोने में बसे जनजातीय समाज के लोग सदियों से अपनी समाज, संस्कृति एवं सभ्यता के संरक्षण के लिए संघर्ष किया है. झारखण्ड की धरती ऐसे वीरों से भरी पड़ी है. धरती आबा बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हु, वीर बुधु भगत, तिलका मांझी, चांद भैरव, तेलंगा खड़िया, शेख भिखारी जैसे कई वीर महापुरुषों ने, नायकों ने राज्य एवं देश को अपना सर्वस्व दिया है. जनजातीय समुदाय के कई ऐसे ऐतिहासिक पन्ने अभी अनछुए हैं जिस पर प्रकाश डाले जाने पर यह समुदाय गौरव के साथ जानें-पहचानें जा सकेंगे. और मजबूती से अपनी विकास गाथा लिखेंगे.

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