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Jharkhand News

“आपके …द्वार” : झारखण्ड के इतिहास में जन समस्याओं के निदान में सराहनीय सरकारी प्रयास 

January 5, 2022 by najhma Leave a Comment

“आपके …द्वार” – जन समस्या तत्काल दूर करने के दिशा हेमन्त सरकार का ऐतिहासिक कदम. हासिये के अंतिम छोर पर खड़ी जनता को मिली सरकारी योजनाओं का लाभ…

झारखण्ड में पूर्व की सत्ता-व्यवस्था के लूट-तानाशाही के अक्स में उपजी जन समस्या के मद्देनजर आक्रोश- बेचैनी, व बेबसी से जनता को राहत देने दिशा हेमन्त सरकार का बेहतरीन प्रयास साबित हुआ है “आपके …द्वार” अभियान. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच त्रस्त जनता की पुकार, उसके आंसुओ को पोंछने की दिशा में कारगर साबित हुआ है यह कार्यक्रम. उस पूर्व की सत्ता-व्यवस्था द्वारा बुने ताने-बाने में जन समस्याओं के गला घोंटने के कुप्रयास को ध्वस्त कर जनहित नयी ऐतिहासिक लकीर खीचने में कामयाब हुई है सरकार का यह अभियान. 

जाहिर है भाजपा के लगभग 17 वर्षों के कुशान से त्रस्त जनता मौजूदा सत्ता के तरफ विश्वास भरी निगाह से ही देखेगी. ऐसे में, मौजूदा सत्ता उन आंखों की बेबसी को महसूस करते हुए “आपके अधिकार – आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम के माध्यम से गति में उन्हें राहत पहुचाये. तो हेमन्त सत्ता के प्रयास को मानवीय व सराहनीय कहा ही जाना चाहिए. और यदि विपक्ष ऐसे प्रयोग पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है तो उसकी पूर्व की शासन प्रणाली का आंकलन कर उसके मंशे को आसानी से समझा भी जाना चाहिए. 

हेमन्त सत्ता महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए उनके ही पदचिन्हों पर चल पड़ी है

ज्ञात हो, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा यह मानवीय प्रयास धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर, उनकी जन्मस्थली उलिहातु में, उनके प्रतिमा को नमन कर प्रारंभ किया गया था. जो साफ़ है कि मौजूदा हेमन्त सत्ता अपने महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए, उनके ही पदचिन्हों पर आगे बढ़ चली है. और धरती आबा बिरसा मुंडा की जन्मस्थली को नमन कर मुख्यमंत्री का जनता से कहना कि सरकार आपका अधिकार लेकर आपके द्वारा आयी है, विकास की गठरी भी साथ लाई है. कई मायने में तथ्य की पुष्टि भी करती है. जो गवाह है कि मौजूदा सत्ता विकास के मद्देनजर झारखण्ड की तकदीर नए सिरे से संवारने के लिए सधे क़दमों के साथ आगे बढ़ चली है.

मुख्यमंत्री स्वयं राज्य के सभी प्रमंडलों का दौर कर “आपके …द्वार“ कार्यक्रम के लिए जनता किया जागरूक 

“आपके अधिकार, आपकी सरकार आपके द्वार” कार्यक्रम में सरकार की नेक नीयत का सच इस रूप में उभरे. जहाँ मुख्यमंत्री स्वयं राज्य के सभी प्रमंडलों का दौर कर जनता को योजनाओं का लाभ लेने के लिए जागरूक करे. जहाँ अधुकारी-पदाधिकारी जनता को योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए कमर कसते दिखे. तो झारखंड की सुनहरे भविष्य के तहत सरकार के मजबूत मंशे की दंभ भरा जा सकता है. ज्ञात हो, कार्यक्रम को इस मायने में भी सफल माना जा सकता है कि राज्य के इतिहास में शायद यह पहला मौका है. जहाँ सरकारी बाबू सही मायने में जनता के बीच पहुंच उनकी समस्याओं का निराकारण किया है. 

कई मामलो में देखा गया है पदाधिकारी द्वारा निसहायों के घर पहुँच उनकी समस्या दूर किया गया हैं. सही मायने में जरुरतमंदों को योजनाओं का लाभ पहुचाया गया है. बड़ी संख्या में सरकार को आवेदन प्राप्त होना और उसी गति में मामलों का निष्पादन होना, न केवल कार्यक्रम की सफलता बयान करती है. जनता के यादों में सुखद स्मृति बन अंकित हो इतिहास रचती दिखती है. और सरकार का यह प्रयास सही मायने में राज्य के महान महापुरुषों-आन्दोलनकारियों के संघर्षों को सुखद अंजाम तक पहुंचाती भी दिखती है.

नोट : “आपके …द्वार” – “आपके अधिकार, आपका सरकार आपके द्वारा”

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COVID 19 – प्रतिबन्ध में हेमन्त सरकार द्वारा गरीब-मजदूर, व्यवसायियों की आजीविका का रखा गया है ध्यान. भाजपाइयों को केवल राजनीति की चिंता

January 4, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : कोरोना बचाव में लगाए गए प्रतिबन्ध पर श्वेत पत्र की मांग करने वाले दीपक प्रकाश व तमाम भाजपा कार्यकर्ता को पहले बताना चाहिए कि क्यों वह पूरे कोरोना महामारी काल के दौरान घर में दुबके रहे. बाहर निकले भी तो केवल विधि व्यवस्था बिगाड़ हेमन्त सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में…

रांची : कोरोना संक्रमण से बचाव में केंद्र द्वारा लाये गया अव्यवस्थित लॉकडाउन से आम जनता व देश की आर्थिक स्थिति का हश्र क्या हुआ है, किसी से छिपी नहीं है. यह पीड़ा झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के वक्तव्यों में कई बार झलका है. हेमन्त के फैसलों में यह दिखता है कि उन्हें गरीब-मजदूर, व्यवसायियों की समस्याओं का भान है. लॉकडाउन के दौरान उनके द्वारा जनहित में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गयी. मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया, पर इससे इनकार नहीं करते कि, लॉकडाउन ने आर्थिक तौर पर सरकार, गरीब-मजदूर, व्यवसायियों कमोवेश हर तबके की आर्थिक कमर तोड़ दी है.

नतीजतन, संक्रमण की तीसरी संभावित लहर को देखते हुए हेमन्त सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबन्ध में लोगों की आजीविका का पूरा ध्यान रखा गया है. लेकिन, विडंबना है कि पिछले 2 सालों से मौत पर राजनीति कर रहे भाजपाइयों को आखिर इस बार भी यह सच नहीं दिखा. वैसे भी जिसके पास महामारी में सड़क नापते शहीद मजदूरों का आंकड़ा तक न हो, उसे दिखेगा भी कैसे. इन्हें न तो गरीब-मजदूर, व्यवसायियों की चिंता है न ही राज्य के राजस्व की. चिंता है तो केवल अपनी राजनीति की. मसलन, इस दफा भी हेमन्त सरकार द्वारा लगाये गए कोरोना प्रतिबांध को लेकर राजनीति करने को तैयार हैं. ज्ञात हो, सरकार द्लवारा गए प्रतिबन्ध पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश द्वारा सरकार से कोरोना प्रतिबन्ध पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की गयी है. 

दीपक प्रकाश को ज्ञात होना चाहिए कि अभी श्वेत पत्र से ज्यादा जरूरी आजीविका और संक्रमण को रोकना है 

एक परिपक्व राजनीतिज्ञ, दीपक प्रकाश को इतना तो वैचारिक ज्ञान होना चाहिए कि अभी कोरोना से बचाव पर श्वेत पत्र जारी करने से ज्यादा जरूरी, आजीविका को प्रभावित किये बिना संक्रमण को रोकना है. दरअसल, गरीब-दलित विरोधी मानसिकता वाले भाजपाइयों को समाजिक समस्या की चिंता कहां है. सर्वविदित है कि लॉकडाउन से जब गरीबों के रोजगार छिने. मौतों का ग्राफ बढ़े, तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आगे बढ़कर मदद का हाथ बढाया और कहा कि सरकार गरीबों को कफन भी निःशुल्क उपलब्ध कराएगी. लेकिन, भाजपाइयों द्वारा तब भी गंदी मानसिकता का परिचय देते हुए इसे मुद्दा बना राजनीति की गयी थी. 

आम जीवन को प्रभावित किये बिना प्रतिबन्ध का पहल, सराहनीय

सोमवार को हेमन्त सरकार ने कोरोना रोक-थाम में प्रतिबन्ध (आंशिक रूप से मिनी लॉकडाउन जैसा) लगाया गया है. जो एक सराहनीय कदम है. सरकार द्वारा वैसे संस्थानों को बंद किया गया है, जिससे आम जन-जीवन प्रभावित न हो, और संक्रमण के प्रसार को भी काफी हद तक कंट्रोल किया जा सके. जैसे -रेस्टोरेंटों को बंद नहीं किया गया है, केवल क्षमता पर प्रतिबंध लगाया गया है. इंटर स्टेट बसों के परिचालन पर रोक नहीं लगायी गयी है, पर कोरोना गाइडलाइन के नियमों का पालन (मास्क पहनना, सोशल डिस्टेसिंग, सैनिटाइजर का उपयोग) अनिवार्य कर दिया गया है. सरकारी और निजी क्षेत्रों का काम प्रभावित न हो और संक्रमण भी न फैले, इसलिए क्षमता का 50% लोगों की ही उपस्थिति की अनुमति दी गयी है. 

हेमन्त सरकार ने एक तरफ पहुंचायी राहत, तो भाजपा नेता-कार्यकर्ता दुबके रहे घरों में

पिछले लॉकडाउन को लेकर दीपक प्रकाश हेमन्त सरकार पर आरोप लगाते रहे कि दूसरी लहर में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गयी थी. लेकिन, दीपक प्रकाश ने अपने पार्टी नेताओं के कार्यशैली को सिरे से ख़ारिज करते दिखे. केंद्र की सरकार ने जब झारखंडवासियों को मरने के लिए उसके भरोसे छोड़ दिया, तो राज्य के मुखिया हेमन्त सोरेन ने ही अपने लोगों की सुध ली और मदद लेकर पहुंची. ऑक्सीजन की कमी को उन्होंने राज्य संसाधन से पूरा कर असंभव को संभव कर दिखाया. सरकारी अस्पतालों में बेडों की व्यवस्था करायी. लोगों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराया. 

दूसरी तरफ दीपक प्रकाश और उसके जैसे राज्य के तमाम भाजपा नेता अपने घरों में दुबके रहे. किसी भाजपा नेता ने इतनी हिम्मत नहीं दिखाई जिससे कहा जा सके कि वह राजनीति से परे गरीब-दमित झारखंडवासियों को राहत पहुंचाने आगे आये हों. वह बाहर आये तो केवल विधि व्यवस्था को तोड़ने जिससे हेमन्त सरकार अस्थिर हो सके. या फिर उनके द्वारा मौकापरस्त के भांति गाल बजाकर केवल राजनीतिक रोटी सकने प्रयास हुआ. जिसका एक रूप हम मौजूदा दौर में देख सकते हैं.

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हेमन्त सरकार 2021 : गोपालकों व पशुओं के लिए हुए बेहतर काम, गाय राजनीति विषय नहीं कुपोषण मुक्ति व विकास का द्योतक …मिली सीख

January 3, 2022 by najhma Leave a Comment

हेमन्त सरकार में गोपालकों व पशुओं के कल्याण में हुए कार्य तथकथित गौभक्त पार्टी के लिए जहाँ सिख हो सकती है. वहीं गाय पर राजनीति करने वाले नेताओं के लिए चिंतनीय विषय कि पशु कल्याण में हुए काम राज्य-देश को कुपोषण मुक्ति के अलावे विकास के राह पर भी ले जा सकती है…

रांची : पूर्व की भाजपा की डबल इंजन सरकार में, गाय एक राजनीतिक विषय रहा और झारखण्ड को कथित तौर पर मॉब लिंचिंस्तान के रूप में जाना जाता रहा. हालांकि, राज्य में ऐसी घटना दोबारा न घटे, हेमन्त सरकार में मॉब लिंचिंग पर सख्त कानून बनाया गया. शीतकालीन सत्र के दौरान विधेयक भी पास किया गया है. वर्ष 2021 में गोपालकों, गाय और गौशालाओं को लेकर झारखण्ड प्रदेश में सराहनीय कार्य हुए. पशुओं के विकास और कल्याण को लेकर हेमन्त सरकार पूरी तरह कृत-संकल्पित रही. मुख्यमंत्री पशुधन योजना की सफलता तथ्य की पुष्टि करती है. 

वहीं, पशुओं के विकास के लिए प्रति पशु 100 रूपये, गौशालाओं के रख-रखाव के लिए हर वर्ष 36,000 रुपये, गौशाला के लिए रेस्क्यू वाहन, प्रमंडलीय स्तर पर गौ मुक्तिधाम सहित गौशाला में ही गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद्य बनाने की पहल इसी संकल्प का हिस्सा भर है. साफ संकेत है कि हेमन्त सरकार द्वारा पशुओं के कल्याण में हुए कार्य तथकथित गौभक्त पार्टी के लिए जहाँ सिख हो सकती है. वहीं गाय पर राजनीति करने वाले नेताओं को सोचने पर मजबूर कर सकती है कि राजनीति से ज्यादा पशु कल्याण में हुए काम राज्य-देश को कुपोषण मुक्ति के अलावे विकास के राह पर भी गति से ले जा सकती है. 

गो मुक्ति धाम :मृत्यु के बाद गायों के शरीर का हो सकेगा पवित्र तौर पर निष्पादन

साल 2021 के फरवरी माह में हेमन्त सरकार द्वारा लाये बजट प्रावधान 2021-22, पशुपालकों के साथ-साथ पशुओं के लिए अहम हैं. सरकार द्वारा राज्य के प्रत्येक प्रमंडल में गो मुक्ति धाम बनाने का फैसला लिया गया. उद्देश्य साफ था कि मृत्यु के बाद गायों के शरीर का पवित्र तरीके से निष्पादन किया जा सके. बजट में ही मुख्यमंत्री द्वारा पशुधन योजना लाने की बात हुई. योजना के तहत पशुपालन क्षेत्र में बकरा विकास, शुकर विकास, बैकयार्ड लेयर कुकुट, बॉयलर कुकुट पालन, बत्तख चूजा वितरण, गव्य विकास क्षेत्र में दो दुधारू गाय का वितरण की पहल हुई. योजना में पशुओं के विकास को कई सुविधाओं व अनुदान को जोड़ा गया. जिससे पशुपालन के क्षेत्र में झारखण्ड निश्चित रूप से आगे बढ़ा है. 

जोड़ा बैल वितरण योजना से किसानों का होगा मुनाफा

बजट 2021-22 में ही राज्य सरकार जोड़ा बैल वितरण योजना लेकर आयी. इसके तहत गोपालकों द्वारा प्राप्त नर बाछाओं को बैल के रूप में तैयार कर इन्हें सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कार्यरत किसानों को वितरित किया जा रहा है. इससे किसान को खेती में सहयोग मिलेगा और वे कम लागत में खेती कर सकेंगे. इससे उत्पादन लागत कम होगी और किसानों को मुनाफा अधिक होगा.

गौशालाओं के लिए रेस्क्यू वाहन और प्रति पशु 50 रुपये से बढ़ाकर किया 100 रुपये

राज्य के पशुओं की देखभाल और उसके संरक्षण को लेकर हेमन्त सरकार ने फैसला किया कि गौशालाओं में पशुओं के आहार के लिए एक वर्ष तक प्रति पशु प्रतिदिन 100 रुपये दिया जाएगा. इससे पहले प्रति पशु हर दिन 50 रुपये हर छह माह के लिए दिया जाता था. फिर फैसला हुआ कि राज्य के रजिस्टर 21 गौशालाओं को 10 रेस्क्यू वाहन दिया जाएगा. ताकि लावारिस पशुओं को रेस्क्यू किया जा सके. जो पशु सड़क पर बीमार अवस्था में रहते हैं, उन्हें रेस्क्यू कराया जा सके. 

गौशालाओं के रख-रखाव के लिए 9000 रुपये की राशि को बढ़ाकर किया 36,000

वर्ष 2021 के अंतिम दिन रांची स्थित गौशाला पहुंचे कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने घोषणा कर कहा कि सरकार राज्य के सभी गौशालाओं को सुदृढ़ एवं मजबूत करने के लिए कृतसंकल्पित है. इसलिए सरकार ने पूर्व में दिए जाने वाले पशुओं के भरण-पोषण के अनुदान की अधिकतम 9,000 रुपये की राशि को बढ़ाकर अधिकतम 36000 प्रति वर्ष कर दिया है. कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार प्रमंडलीय स्तर पर गौ मुक्ति धाम की दिशा में कार्यरत हैं. साथ ही राज्य के सभी गौशाला के बकाया राशि का भी भुगतान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि रांची गौशाला को भी 927000 की राशि भुगतान कर दिया गया है.

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कभी घने जंगलों के लिए चर्चित था झारखण्ड, नई पर्यटन नीति झारखण्ड को दिलाएगी वही अलग पहचान

January 3, 2022 by najhma Leave a Comment

सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर सीएम ने जारी की नई पर्यटन नीति – 2021, धार्मिक से लेकर माइनिंग टूरिज्म तक को बढ़ावा देने के लिए तैयार है रोड मैप, रोजगार आधारित विकास का खुलेगा द्वारा…

हेमन्त सरकार की पर्यटन नीति झारखण्ड को देश-दुनिया में दिलाएगी अलग पहचान

रांची : झारखण्ड हजारों सालों से घने जंगलों के कारण देश-दुनिया में चर्चित रहा था, लेकिन पूर्व की सरकारों के लूट के अक्स में राज्य में जंगलों की अँधा-धुंध कटाई की नई रेखा खीची गयी. जिससे राज्य की पारंपरिक-आर्थिक, सांस्कृतिक व सामाजिक धरोहर छिन्न-भिन्न हुए, इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन मौजूदा हेमन्त सरकार में राज्य की प्राकृतिक सम्पदा को फिर से संवारने की कवायद तेज हो चली है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर नई पर्यटन नीति-2021 लॉन्च किया गया है. नई पर्यटन नीति-2021 में गढ़े अक्षरों से साफ है कि झाऱखण्ड अब फिर से देश-दुनिया में अपनी वही अलग पहचान बनाने को आतुर है. 

इस नीति के तहत खनिज संसाधनों को नुकसान पहुंचाये बिना सरकार का पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर है. मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में पर्यटन की असीम संभावना है. राज्य में नेतरहाट में खुबसूरत पहाड़ी है तो पतरातू, चांडिल और मसानजोर जैसे विशालकाय डैम भी हैं. राज्य में कई धार्मिक स्थल के साथ खनिज (माइनिंग) संपदा से घिरे क्षेत्र है. मसलन, राज्य में पहली बार प्रकृतिक के अलावे धार्मिक और माइनिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नीति में सब्सिडी की भी बात की गयी है. जिससे सुनिश्चित होता है कि मौजूदा सरकार की नीति में राज्य के विकास की डगर लाखों लोगों के रोजगार मुहैया जैसे जन कल्याण से हो गुजरेगा. 

निजी क्षेत्र को भी किया गया है आमंत्रित, सब्सिडी व पर्यटकों के सुरक्षा पर विशेष जोर

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पहली बार नीजि क्षेत्र को सरकार ने आमंत्रित किया है. न केवल देशी बल्कि विदेशि इन्वेस्टरों को भी पर्यटन के क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया जाएगा. इन्वेस्टरों के लिए सब्सिडी का भी प्रावधान है. यह कुल निवेश की सीमा का 25 प्रतिशत तक होगा. सब्सिडी की अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये तक की गयी है. 

नयी पर्यटन नीति में हेमंत सरकार ने पर्यटन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और सूचना केंद्र बनाने पर भी जोर दिया है. जिससे पर्यटकों को हर तरह की सेवाएं मिलना आसान हो पाएगा. वहीं पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए उनकी सुरक्षा को पहली प्राथमिकता दी गयी है. इसके लिए सरकार एक सुरक्षा बल का भी गठन करेगी. सुरक्षा बलों में सेवानिवृत्त जवानों को रखा जाएगा. उन्हें सरकार विशेष प्रशिक्षण भी देगी. 

अनुसूचित क्षेत्रों वाले पर्यटन केन्द्रों के विकास पर सरकार का विशेष जोर, दिया जाएगा इन्सेन्टिव

नई पर्यटन नीति में अनुसूचित क्षेत्र के पर्यटन केन्द्रों पर निवेशकों को अतिरिक्त 5% इंसेंटिव दिया जायेगा. नए टूरिज्म यूनिट शुरू करने पर बिजली दरों में 30% तक की छूट मिलेगी. निवेशकों को लोन इंटरेस्ट में 50% सब्सिडी यानी कि अधिकतम 25 लाख रूपये तक की सुविधा 5 वर्षों के लिए दी जायेगी. सरकार के प्रयास से देश-दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए झारखण्ड के 230 से अधिक पर्यटन स्थलों का चयन कर विकास किया जा रहा है. वहीं अपने लक्ष्य के अनुरूप पर्यटन क्षेत्र में 10 लाख से अधिक रोजगार के अवसर (प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से) सृजित किये जाएंगे. 

पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा लिए हैं कई अहम फैसले…

  • आइटीडीसी और जेटीडीसी के बीच होटल अशोका के स्वामित्व को लेकर एमओयू किया गया. पर्यटन विभाग की पहल पर होटल अशोका की 51 फीसदी हिस्सेदारी को लेकर जो एमओयू हुआ है, उसके माध्यम से झारखण्ड ने टूरिज्म के क्षेत्र में पहला पड़ाव हासिल किया.
  • लातेहार, नेतरहाट, बेतला, चांडिल, दलमा, मिरचैया, बेतलसूद को इको टूरिज्म के तौर पर विकसित किया जाने का फैसला.
  • नेतरहाट में चीड़ के पेड़ और मैग्नोलिया सनसेट पॉइंट को पर्यटकों के लिए खास तौर से विकसित किया जा रहा है.
  • झारखण्ड को फूलों की घाटी बनाने की भी तैयारी है. राज्य में कई ऐसी जगहें हैं, जहां, खूबसूरत झील-झरने और फॉल हैं लेकिन प्रदेश की जनता ही इनसे अनभिज्ञ है. 
  • सरकार ने पर्यटन स्थलों को कई श्रेणियों में बांट कर काम करने का फैसला किया है. इसमें धार्मिक, इको-कल्चरल, रूरल, माइनिंग टूरिज्म शामिल हैं.

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