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Jharkhand News

विधि व्यवस्था के मद्देनजर सीएम का पुलिस अधीक्षकों के साथ अहम बैठक

September 23, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : सीएम का पुलिस अधीक्षकों के साथ अहम समीक्षा बैठक. लॉ एंड ऑर्डर, उग्रवाद व अपराध नियंत्रण समेत विधि व्यवस्था की समीक्षा. सीएम के कई निर्णायक निर्देश 

रांची : आगामी त्योहारों के सीजन से पहले मुख्यमंत्री द्वारा वरीय पुलिस पदाधिकारियों की उपस्थिति में सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों के साथ अहम समीक्षा बैठक 22 सितंबर को हुई. बैठक में राज्य में कानून व विधि व्यवस्था सुदृढीकरण पर चर्चा हुई. विशेषकर उग्रवाद एवं अपराधिक घटनाओं पर लगाम कसते हुए राज्य में भयमुक्त वातावरण प्रदान करने पर जोर दिया गया.  

लॉ एंड ऑर्डर व अपराध नियंत्रण समेत विधि व्यवस्था की हुई समीक्षा 

मुख्यमंत्री द्वारा कहा गया कि राज्य के विकास के लिए बेहतर पुलिसिंग बेहद जरूरी है. राज्य के जिलों में लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखने में पुलिस अधीक्षकों की अहम भूमिका होती है. उन्हें विभिन्न चुनौतियों से निपटने हेतु सतर्कता सेजिम्मेदारी निभानी होती है. पीड़ितों को जल्द इंसाफ दिलाने की पहल करने की आवश्यकता है. जिससे वर्दी के प्रति लोगों में व्याप्त विश्वास को और मजबूती मिले.

अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को कहीं कठोरता से कार्रवाई करना होता हैं. तो महिला और पारिवारिक मामलों में संजीदगी और संवेदना के साथ जिम्मेदारियों को निभाना होता है. दोनों ही परिस्थितियों में पुलिस का निर्णय सामाजिक तौर पर मायने रखती है. ऐसे में पुलिस के द्वारा ऐसे कदम उठाए जाए जिसके सकारात्मक नतीजे सामने आए. 

पुलिस अधीक्षकों को राज्य में अपराधिक घटनाओं को नियंत्रित करने हेतु कई अहम निर्देश दिए गए. अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधियों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई करने को कहा गया. राज्य में अपराधिक घटनाओं की समीक्षा के क्रम में हत्या, लूट, डकैती, फिरौती, गृह उद्भेदन, दुष्कर्म समेत कई मामलों की जिलावार विस्तृत जानकारी ली गई और ये निर्णायक निर्देश दिए. 

उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस का सहयोगात्मक भूमिका अहम  

बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ, सारंडा समेत अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में पुलिस की उपस्थिति में शिविर लगाकर ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ देने का निर्देश दिया गया. इसके साथ इन क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया. जिससे पुलिस के प्रति लोगों की विश्वसनीयता बढ़ेगी और उग्रवादी घटनाओं को जनता की मदद से नियंत्रित की जा सकेगी. 

नक्सल क्षेत्र में ग्रामीणों व युवाओं को रोजगार से जोड़ने पर जोर

उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में घटनाओं को रोकने हेतु ग्रामीणों व युवाओं को रोजगार से जोड़ने पर जोर दिया गया. ग्रामीण इलाकों में तैनात सुरक्षाबलों की जरूरत के सामान स्थानीयों से खरीदने का निर्देश दिया गया. ताकि उन्हें रोजगार मिले और उनकी आय के साधन खुले. साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, पूल-पुलिया की जरूरत की मैपिंग करा सरकार को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया. जिससे नक्सल के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. 

पुलिस अधीक्षकों को सभी जेलों में 1 महीने में जैमर लगाने के निर्देश 

जेलों में बंद अपराधियों द्वारा मोबाइल या अन्य माध्यमों से अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने की शिकायत लगातार मिल रही है. इसपर हर हाल में रोक लगाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया. इस मामले में मुख्यमंत्री द्वारा पुलिस अधिकारियों को राज्य के सभी जेलों में एक माह के भीतर जैमर स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी कर लेने को कहा गया.

अपराध के नए चेहरे आ रहे हैं सामने  

मुख्यमंत्री ने कहा कि मौजूदा दौर में अपराध के कई चेहरे सामने हैं. तरह-तरह के अपराधिक मामले सामने आयें हैं. राज्य में साइबर अपराध और महिला उत्पीड़न जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. इससे निपटने के लिए राज्य पुलिस को ठोस रणनीति के साथ काम करना होगा. भुक्तभोगी को जल्द से जल्द इंसाफ मिले, इस दिशा में पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने की जरूरत है. 

आगामी त्योहारों में पुलिस विधि-व्यवस्था की तैयारियों की ली गई जानकारी

राज्य में कुछ ही दिनों में फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो रही है. राज्य में इस बार बड़े पैमाने पर दुर्गा पूजा का आयोजन हो रहा है. जिसमें भारी संख्या में भीड़ उमड़ने की संभावना है. ऐसे में दिसंबर तक पूरे राज्य को हाई एलर्ट पर रखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए जाने के निर्देश दिए गए. राज्य में शांति और सद्भाव बना रहे, इसके लिए पुलिस को सभी जरूरी और ठोस कदम उठाने को कहा गया. 

राज्य में छोटी घटनाएं तूल न पकड़े और बड़े वर्ग को प्रभावित न करे 

मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी-कभी छोटी-छोटी घटनाएं तूल पकड़ लेती हैं. अफवाह अथवा अन्य वजहों से ऐसी घटनाएं तेजी से फैलती है और बड़े वर्ग को प्रभावित करती है. ऐसी घटनाएं तूल न पकड़े, इसका ध्यान रखें. ऐसे मामलों का समाधान पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ करने का निर्देश दिया गया ताकि ऐसे मामलों को निचली स्तर पर ही नियंत्रित किया जा सके.

मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए अन्य महत्वपूर्ण निर्देश – 

  • वारंटो का तामिला त्वरित गति से करें. 
  • विभिन्न मामलों में चार्जशीट दाखिल करणी की गति तेज हो. 
  • कांडों के अनुसंधान में तेजी लाई जाए. 
  • छोटे-छोटे केसों में कई लोग लंबे समय से जेल में बंद हैं. ऐसे मामलों का प्राथमिकता के आधार पर जल्दी निष्पादन किया जाए.
  • शहरों और हाईवे पर पेट्रोलिंग में किसी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाए. 
  • ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस सूचना तंत्रों के साथ संपर्क को बेहतर बनाएं. 
  • थानों की व्यवस्था को दुरुस्त करें और मामलों का निष्पादन जल्द हो. 
  • वर्दी के प्रति लोगों की विश्वसनीयता बढ़े, इसे ध्यान में रखकर पुलिस अपनी कार्रवाई करें.
  • शक्ति एप्प का प्रचार प्रसार करें, ताकि महिलाएं शिकायतें ऑनलाइन दर्ज करा सके. 
  • स्कूल कॉलेजों के आसपास मनचलों के खिलाफ नियमित रूप से अभियान चले.

आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई 

  • मादक पदार्थों के अवैध कारोबार को लेकर इस वर्ष अब तक 353 केस दर्ज किए गए हैं और 489 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है.
  • शराब के अवैध कारोबार को लेकर दर्ज किए गए 386 मामलों में 350 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.  
  • इस वर्ष 2628 एकड़ खेत से गांजा की अवैध फसल को नष्ट किया गया है. इसमें 41 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है जिसमे 13 की गिरफ्तारी हुई है. 
  • इस वर्ष साइबर अपराध के कुल 617 केस दर्ज किए गए हैं. जिनमें 417 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई है. वहीं, कई पीड़ितों को 72 लाख रुपया की वापसी कराई गई है.
  • इस वर्ष बालू के अवैध कारोबार को लेकर 903 छापेमारी की गई है. जिसमें 725 केस दर्ज किए गए हैं और 430 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. इसके अलावा 15 सौ से ज्यादा वाहन जब्त किए गए हैं. 
  • पत्थर के अवैध कारोबार को लेकर इस वर्ष 260 छापेमारी की गई है और 164 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. जबकि, 322 वाहन जब्त किए गए हैं.

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झारखण्ड : सीएम की प्राथमिकता में बुजुर्ग, बुद्धिजीवी व छात्र भी

September 22, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : सीएम बुजुर्ग, ग्राम प्रधान व बुद्धिजीवी के अनुभव को राज्य विकास में सदुपयोग करने का किया ऐलान. साथ ही भूत महल बन चुके छात्रवासों को बना रहे हैं छात्रों के रहने लायक. कई नई सुविधाएं भी कराई जा रही है मुहैया.

रांची : झारखण्ड के विकास व मजबूती हेतु सीएम की प्राथमिकता में बुजुर्ग, बुद्धिजीवी, छात्र समेत सभी उम्र के लोग हैं. एक तरफ वह अनाथ बच्चों तक की सूद लेते हैं तो दूसरी तरफ ग्राम प्रधान, छात्र, युवा, कर्मचारी, किसान व मजदूर, लगभग सभी उम्र-वर्ग के लोगों की सस्याओं को प्राथमिकता के साथ संज्ञान लेते दिखते हैं. इस कड़ी में सीएम द्वारा राज्य के ग्राम प्रधानों को कार्यक्रम आयोजित कर सम्मानित किया गया. जो निश्चित रूप से भारतीय सामाजिक संरचना को मजबूती देती है. 

सीएम हेमन्त सोरेन द्वारा ग्राम प्रधानों का सम्मान

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा ग्राम प्रधानों का कार्यक्रम आयोजित कर सम्मान किया जाना दर्शाता है कि सीएम समाज निर्माण में बुजुर्गों व बुद्धिजीवों की महत्ता व भूमिका को समझते है. ज्ञात हो, पूर्व की सत्ता में बुजुर्गों व बुद्धिजीवी की महत्ता को लगभग समाप्त कर गई थी. उन्हें अपने मुख सील लेने पर विवश किया गया था. 

सीएम हेमन्त का मानना है कि राज्यवासियों के कल्याण में उतारी गई सरकार की योजनाएं व नीतियों की जानकारी अक्सर ग्रामीणों को नहीं हो पाती. ऐसे में ग्राम प्रधान समेत अन्य बुद्धिजीवी वर्ग यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. क्योंकि भारत में बुजुर्ग वर्ग अपने अनुभव से समाज को बेहतर दिशा देते आए हैं. यह परंपरा सदियों से चली या रही है.   

ग्राम प्रधानों का सम्मेलन आयोजित कर सरकार की नीतियों व योजनाओं की जानकारी देने का निर्देश 

झारखण्ड में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा राज्य के बुद्धिजीवियों के अनुभव का समाज व राज्य निर्माण में सदुपयोग करने की दिशा में बड़ा काम उठाया गया है. उनके द्वारा राज्य के संबंधित अधिकारियों व पदाधिकारियों को ग्राम प्रधानों का सम्मेलन आयोजित करने का निर्देश दिया गया है. सम्मेलन में ग्राम प्रधानों को सरकार की योजनाएं व नीतियों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

जिससे बुद्धिजीवी वर्ग गांव-गांव में जाकर डुगडुगी अथवा अन्य पारंपरिक माध्यमों से ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं व नीतियों से अवगत कराएंगे और लाभ दिलाना सुनिश्चित करेंगे. ज्ञात हो, साहिबगंज जिले के पतना प्रखंड स्थित धरमपुर मैदान में ग्राम प्रधान सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं इस तथ्य को उजागर किया गया. 

झारखण्ड को शिक्षित करने हेतु दिया जा रहा है खंडहर हो चुके छात्रावासों को पुनर्जीवन

झारखण्ड के मुख्यमंत्री के शब्द – ‘अब खंडहर में नहीं, सुसज्जित छात्रावासों में रहेंगे वंचित वर्ग के छात्र’. स्वयं ही झारखण्ड में शिक्षा व्यवस्था में हो रहे सुधारों के प्रयासों की ऐतिहासिक तस्वीर पेश करती है. ज्ञात हो, मानुवादी सत्ताओं के मंशा के तहत राज्य गठन के बाद से अपने जीर्णोद्धार का बाट जोह रहे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अलपसंख्यक छात्रावासों को हेमन्त शासन में फिर से पुनर्जीवित किया जा रहा है.

टूटे-फूटे फर्श, बरसात में टपकती छत, छित-विछित खिड़की-दरवाजे, सीलन भरी दीवार, कुल मिला कर जो छात्रावास छात्रों का नहीं बल्कि भूत का रहने वाला महल हो चुका था. ऐसे में कैसे इन वर्गों के छात्र यहाँ रह कर पढ़ाई कर सकते थे. मसलन, हेमन्त सरकार में एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों के छात्रों की शिक्षा-दीक्षा को सुलभ बनाने हेतु इन छात्रावासों में शौचालय, लाइब्रेरी, पानी और बिजली की व्यवस्था किए जाने से मंजर बदल गया है. जिससे इन वर्गों में शिक्षा को लेकर लगाव बढ़ रहा है. 

झारखण्ड में छात्रावासों की वर्तमान स्थिति 

हेमन्त सरकार में अबतक 593 छात्रावासों में से 234 छात्रावासों को नया स्वरूप दिया जा चुका है. इनमें अनुसूचित जनजाति के 42, अनुसूचित जाति के 96, पिछड़ा वर्ग के 47 और अल्पसंखयक की 92 छात्रावास शामिल हैं. 221 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य दो वर्ष में पूर्ण करना है. वित्तिय वर्ष 2022 -23 में 139 एवं 2023-24 में शेष 82 छात्रावासों का जीर्णोद्धार कार्य प्रस्तावित है.  

छात्रावासों में अब होगी अनाज, रसोईया और सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था

मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री चंपाई सोरेन के निर्देश के बाद कल्याण विभाग के छात्रावासों के जीर्णोद्धार के साथ छात्रावासों में सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया की भी बहाली प्रक्रिया चल रही है. मुख्यमंत्री द्वारा रिक्त पड़े मानवबल को यथाशीघ्र भरने का आदेश दिया गया है. वर्तमान में कुल 90 सुरक्षा प्रहरी एवं रसोईया कार्यरत हैं. 

पूर्व की सरकारों की व्यवस्था के तहत इन सरकारी छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को अपने घर से अनाज लाना पड़ता था. जो इन गरीब वर्गों के छात्र के लिए बड़ी समस्या थी. इनकी शिक्षा पर स्पष्ट प्रभाव डालती थी. लेकिन अब हेमन्त सरकार में इन छात्रावासों में छात्रों के लिए अनाज मुहैया कराने का निर्णय लेने के तरफ सरकार बढ़ चली है. जो निश्चित रूप से इन वर्गों के गरीब छात्रों के लिए कल्याणकारी कदम है. और संविधान के मौलिक मर्म को भी छूता है.

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झारखण्ड : एक भी मूलवासी स्थानीयता के अधिकार से नहीं होंगे वंचित

September 19, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने हेतु विधेयक को स्वीकृति मिली. एक भी आदिवासी-मूलवासी व विस्थापित स्थानीयता के अधिकार से न हो वंचित – सीएम का विशेष जोर.

रांची : दिनांक: 14 सितम्बर, 2022 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के के अध्यक्षता में आदिवासी-मूलवासी व विस्थापितों के हक-अधिकार के हित में ऐतिहासिक फैसला लिया गया. झारखण्ड सरकार मंत्रिमंडल द्वारा राज्य के निवासियों के लिए स्थानीयता के अधिकार परिभाषित करने वाली प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिली.

स्थानीयता के अधिकार को परिभाषित करने वाली स्वीकृति प्रस्ताव में मुख्य आधार

  • खण्ड 1 – झारखण्ड राज्य की भौगोलिक सीमा में निवास करता हो एवं स्वयं अथवा उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो.
  • खण्ड 2 – भूमिहीन के मामले में उसकी पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी, जो झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन वेश-भूषा संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.

झारखण्ड में निवास करता हो एवं पूर्वज का नाम 1932 या पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो

खण्ड-1 में वर्णित स्थानीयता का आधार के अनुसार स्थानीयता का अधिकारी होने के लिए पहली जरूरी शर्त है कि वह झारखण्ड राज्य की सीमा में निवास करता हो. और उसका व उसके पूर्वज का नाम 1932 अथवा उसके पूर्व सर्वे खतियान में दर्ज हो. मसलन, जिसके पास उपरोक्त खातियान है वह स्पष्ट रूप से वह झारखण्ड का स्थानीय निवासी होगा.

भूमिहीन के मामले में ग्राम सभा द्वारा होगी स्थानीयों की पहचान

ज्ञात हो, पूर्व की सत्ताओं के खनन लूट नीतियों के अक्स में झारखण्ड प्रदेश विस्थापितों का प्रदेश भी बन कर रहा गया है. ऐसे में खण्ड 2 के माध्यम से सरकार द्वारा राज्य के विस्थापित अथवा भूमिहीन जनता के अधिकार संरक्षण को गंभीरता से लिया गया है. खण्ड 2 के अनुसार भूमिहीन के मामले में स्थानीय की पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी. जिसका आधार झारखण्ड में प्रचलित भाषा, रहन-सहन, वेश-भूषा, संस्कृति एवं परम्परा इत्यादि पर आधारित होगी.


मसलन, पहला खण्ड जहां राज्य के खातियान धारियों को सम्मान करता है तो वहीं दूसरा खण्ड राज्य में जमीन लूट के अक्स में स्थानीयों को राज्य से बेदखल करनी वाली मनुवादी मंशा पर जबरदस्त चोट करता है. और राज्य के विस्थापित मूलवासी को स्थानीय होने के अधिकार से सम्मानित करता है. हालांकि, दोनों खण्ड में निहित प्रावधानों को और स्पष्ट व सरलीकरण करने पर चिंतन-मंथन हो रहा है.

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झारखण्ड : 14 September 2022 राज्य के लिए ऐतिहासिक दिन

September 15, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : राज्य के लिए 14 September 2022 का दिन ऐतिहासिक. इस दिन सीएम हेमन्त द्वारा मंत्रिपरिषद की बैठक में नियोजननीति, आरक्षण, आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका, शिक्षा व कृषि संबंधी लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय राज्य को दुर्गति से बाहर निकालेगी. 

रांची : झारखण्ड प्रदेश के लिए 14 September 2022 का दिन ऐतिहासिक रहा. हेमन्त शासन की मंत्रिपरिषद बैठक मे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. जो राज्य की मूल जनता के लिए ऐतिहासिक साबित होंगे. इस लेख में नियोजननीति, आरक्षण, आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका, शिक्षा व कृषि संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय शामिल है. 

नियोजन नीति आरक्षण से संबंधित विधेयक, 2022 की गठन को स्वीकृति

झारखण्ड की मूल जनता नियोजन नीति, आरक्षण अनुबंध के नाम पर 22 वर्षों से पूर्व की सत्ताओं द्वारा छली जाति रही है. लेकिन मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार में राज्य की तमाम समस्याओं के स्थायी हल सिरे से निकाले जा रहे हैं. और राज्य नए सिरे से गढ़ आगे ले जाया जा रहा है.

ज्ञात हो, विधान सभा चुनाव के पूर्व बतौर कार्यकारी अध्यक्ष हेमन्त सोरेन राज्य की जनता से वादा किया था कि  राज्य की जनता उनके मंशा अनुकूल नियोजन नीति दिया जाएगा. और सरकारी नौकरी में झारखण्ड मूल के पिछड़ों को 27%, आदिवासियों को 28 %, दलित को 12% आरक्षण दिया जाएगा. लोहार-लोहरा, बड़ाईक-बडाइक नाम में त्रुटिवश जो जाति विशेष सुविधाओं से वंचित हैं, संशोधन कर उन्हें लाभ दिलाया जाएगा. 

इस कड़ी में 14 September 2022 को सकारात्मक निर्णय के आसरे मजबूत कदम बढ़ाया गया

  • झारखंड के स्थानीय निवासी” की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022 के गठन की स्वीकृति दी गई.  
  • झारखण्ड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम, 2001 (यथा संशोधित) में संशोधन हेतु विधेयक, 2022 की स्वीकृति दी गई. 

आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका चयन एवं मानदेय समेत अन्य शर्त नियमावली-2022 को मिली स्वीकृति

झारखण्ड राज्य में पूर्व की बीजेपी सत्ता में मूलवासियों को अनुबंध के नाम बर्गलाया गया और वोट की खेती की गई. जब राज्य में आंगनबाड़ी सहायिका-सेविका समूह की माताओं, बेटियों, बहुओं द्वारा उस सत्ता से अपने अधिकार की मांग की तो बदले में उन्हें पीट पर लाठियाँ मिली. जो झारखण्ड प्रदेश की जनता के लिए सबसे शर्मनाक पल रहा. उस व्यक्त अन्य झारखण्डवासियों की भांति इनकी दूरदशा से विचलित हेमन्त सोरेन ने कहा था हमारी सरकार बनने पर इन्हें ससम्मान इनका हक दिया जाएगा. 

14 September 2022 आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका समूह के लिए भी ऐतिहासिक रहा 

  • झारखण्ड आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका चयन एवं मानदेय समेत अन्य शर्त नियमावली-2022 की स्वीकृति दी गई है. 
  • राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं लघु आंगनबाड़ी केन्द्रों में ताजा गरम पोषाहार पकाकर लाभुकों को उपलब्ध कराने हेतु राज्य योजनान्तर्गत गैस सिलिण्डर एवं कूकिंग स्टोव की आपूर्त्ति की योजना में LPG संयोजन तथा LPG सिलिण्डर की दर में संशोधन की स्वीकृति दी गई. 
  • आँगनबाड़ी केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण योजना अधीन राज्य के आँगनबाड़ी केन्द्रों एवं लघु आँगनबाड़ी केन्द्रों में लाभुकों को ताजा गरम पोषाहार उपलब्ध कराने हेतु बर्तनों एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु वाटर प्यूरीफायर के क्रय एवं आपूर्ति तथा सुदृढ़ संरचना उपलब्ध कराने हेतु केन्द्रों के अनुरक्षण, सुसज्जीकरण एवं रख-रखाव संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. 
  • आँगनबाड़ी केन्द्रों में उपस्थित होने वाले 03-06 वर्ष के बच्चों को गर्म पोशाक उपलब्ध कराने हेतु आपूर्ति योजना के कार्यान्वयन की स्वीकृति दी गई. 

शिक्षा के क्षेत्र में हेमन्त सरकार के लगातार बढ़ते कदम 

झारखण्ड राज्य एक आदिवासी, दलित, ओबीसी बाहुल्य गरीब राज्य है. मनुवाद विचारधारा से ग्रसित पूर्व की सत्ता में शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया गया. मर्जर के नाम पर गरीबों को शिक्षा देने वाले स्कूलों को बंद किया गया. लेकिन मौजूदा हेमन्त सत्ता में शिक्षा-व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण पर विशेष जो दिया गया है.   

हेमन्त सरकार में 14 September 2022 को शिक्षा के क्षेत्र में कई कदम बढ़ाए गए 

  • सी.सी.एल. द्वारा सी.एस.आर. मद से उपलब्ध करायी जाने वाली राशि से राँची विश्वविद्यालय परिसर, मोराबादी, राँची में 5000 की क्षमता का पुस्तकालय निर्माण हेतु 62,43,39,300/- रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई.
  • राज्य में New Education Policy, 2020 के कार्यान्वयन हेतु उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग अन्तर्गत वित्तीय नियमावली के नियम 235 को क्षांत करते हुए नियम 245 के तहत NICSI के Empanelled Agency “Pricewaterhousecoopers Private Limited” का मनोनयन के आधार पर चयन कर Project Management Unit के गठन की स्वीकृति दी गई. 
  • प्रस्तावित अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, रॉची की स्थापना हेतु 120-150 एकड़ भूमि 99 वर्ष के दीर्घकालिक लीज पर उपलब्ध कराने हेतु Azim Premji Foundation एवं राज्य सरकार के मध्य MoU की स्वीकृति दी गई. 
  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के अंतर्गत Projet App Val Board (PAB) की 12वीं एवं 13वीं बैठक में स्वीकृत किये गये 10 नए मॉडल डिग्री कॉलेज के स्थापना हेतु पूर्व में राज्य स्कीम मद से स्वीकृत 10 नए महाविद्यालयों के लिए Funding Pattern में परिवर्तन करने की स्वीकृति दी गई. 

विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों को मिली स्वीकृति  

  • विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग के अन्तर्गत नवस्थापित डिग्री महाविद्यालयों में प्राचार्य, सहायक प्राध्यापक, सह-प्राध्यापक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के पदों के सृजन तथा महाविद्यालयों में संकायों की स्वीकृति दी गई. 
  • कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा के अन्तर्गत नवस्थापित डिग्री महाविद्यालय में प्राचार्य, सह-प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के पदों के सृजन तथा महाविद्यालयों में संकाय की स्वीकृति दी गई. 
  • विश्वविद्यालयों के स्नातकोत्तर विभागों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों के विरुद्ध रिक्त पदों पर घंटी आधारित संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के पैनल का अवधि विस्तार दिनांक 31.03.2023 तक करने की स्वीकृति दी गई. 

हेमन्त सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूतीकरण हेतु कृषि क्षेत्र को बनाए जा रहा सुदृढ़  

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व वाली मौजूदा झारखण्ड सरकार में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूतीकरण पर विशेष जोर दिया गया है. इसी के कारण करोना महामारी के बीच भी राज्य अधिक नहीं डगमगाया और जनता में भुखमरी की स्थिति नहीं बनी. ज्ञात हो, पूर्व की सत्ता में आम दिनों में भूख से कई जनता की मौतें हुई. 

14 सितंबर को कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय 

  • झारखण्ड राज्य में कम वर्षा पात एवं कम फसल आच्छादन को दृष्टिपथ में रखते हुए राज्य में आकस्मिक एवं रबी फसलों के विस्तार हेतु कृषकों को आकस्मिक एवं रबी 2022-23 के फसलों हेतु 90% अनुदान पर बीज उपलब्ध कराये जाने की स्वीकृति दी गई. 
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का मॉडल अधिनियम प्रारूप के अनुसार कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम प्रारूप, 2017 को कतिपय संशोधन के साथ अंगीकृत करते हुए संशोधित झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2022 की स्वीकृति दी गई.

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झारखण्ड : सुखाड़ से निपटने के लिए सीएम के नेतृव में हुई आपदा प्रबंधन की बैठक

September 13, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : कम बारिश कारण धान व अन्य फसलों की बुआई लक्ष्य की तुलना में कम है. हेमन्त सरकार ने सुखाड़ से निपटने के लिए समय रहते उठाया गया है कदम. 

रांची : झारखण्ड में सुखाड़ जैसे गंभीर विषय में हेमन्त सरकार द्वारा समय रहते गंभीर कदम उठाया गया है. सूखे की स्थिति का जायजा व गंभीर स्थिति में उससे निपटने हेतु आपदा प्रबंधन प्राधिकार की उच्च स्तरीय बैठक सम्पन्न हुई. बैठक में सीएम द्वारा राज्य में वर्षापात और फसलों की बुआई की पूरी जानकारी ली गई. विभिन्न विभागों द्वारा इससे निपटने हेतु बनाई जा रही कार्य योजनाओं की जानकारी ली. 

झारखण्ड में सूखे की वर्तमान स्थिति 

मुख्यमंत्री को अधिकारियों द्वारा बताया गया कि 7 जिलों में सामान्य, 15 जिलों में सामान्य से कम और 2 जिलों  में बहुत ही कम बारिश हुई है. कम बारिश कारण धान व अन्य फसलों की बुआई लक्ष्य की तुलना में कम है. 

मुख्यमंत्री द्वारा किसानों, पशु पालकों, श्रमिकों-मजदूरों और ग्रामीणों को राहत देने हेतु तैयारियां तेज करने के निर्देश दिए गए. गंभीर स्थिति में पलायन को रोकने हेतु हर गांव में पांच-पांच नई योजनाएं शुरू करने का निर्देश दिया गया है. खाद्यान्न, पेयजल और पशु चारा की कमी जैसे, सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए योजना को तैयार करने व बेहतर क्रियान्वयन के लिए मॉनिटरिंग के निर्देश भी दिए गए हैं. 

 सुखाड़ से निपटने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम  

  • राज्य भर में एक लाख नए कुआं और एक लाख तालाब बनाए जाएंगे. साथ ही युद्ध स्तर पर चापाकल और चेक डैम की मरम्मत की जाएगी. 
  • मनरेगा के तहत कच्चे कार्यों पर लगी रोक हटाते हुए ग्रामीण इलाकों में कच्ची सड़कों, तालाब, खेतों में मेढ़, जलकुंड और जल स्रोतों का गहरीकरण इत्यादि का काम शुरू करने के निर्देश दिए गए. यह ग्रामीण इलाकों में रोजगार उपलब्ध कराने के मंशा से किया गया है. 
  • हर महीने की 5 तारीख तक सामाजिक सुरक्षा पेंशन का वितरण सुनिश्चित  करने के निर्देश दिए गए. ताकि सुखाड़ में जनता को आर्थिक परेशानी न उठान पड़े. 
  • 5 लाख नए राशन कार्ड जल्द जारी करने के निर्देश. पीडीएस दुकानों से राशन का वितरण हर महीने सुनिश्चित करने व वितरण प्रणाली को आसान बनाने के निर्देश.  

सुखाड़ से निपटने हेतु संबंधित विभाग समन्वय बनाकर योजनाएं बनाएं -सीएम 

मुख्यमंत्री द्वारा सभी विभागों से कहा कि वे आपस में समन्वय बनाकर योजनाएं बनाएं जिससे योजनाएं बहुउपयोगी साबित हों. विभागों को सुखाड़ से निपटने हेतु दो हज़ार से लेकर ढाई हजार करोड़ रुपए तक की योजनाएं बनाने का निर्देश दिया गया. साथ ही सभी योजनाओं की जियो टैगिंग करने का भी निर्देश दिया गया. 

सुखाड़ से निपटे हेतु बन रहे योजनाओं में मुख्यमंत्री का विशेष निर्देश 

  • गौ पालकों के लिए योजना बनाएं. इसके अंतर्गत समूह बनाने वालों को गाय-भैंस उपलब्ध कराएं और दूध की खपत की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश.
  • ग्रामीण कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने हेतु बाजार उपलब्ध कराने व उसका उचित मूल्य दिलाने का निर्देश.
  • पेयजल संकट की स्थिति में टैंकर अथवा अन्य माध्यमों से पेयजल आपूर्ति करने के निर्देश.
  • विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति वितरित करने के निर्देश. 
  • सभी सरकारी और रैयती तालाबों का गहरीकरण कार्य शुरू करने के निर्देश.
  • मनरेगा के तहत मानव सृजन दिवस की गति को तेज तेज करने के निर्देश.
  • वाटर स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने के साथ मछली पालन को बढ़ावा देने हेतु लघु सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार कार्य शुरू करने के निर्देश.
  • पर्यटक स्थलों पर रोजगार की संभावनाओं को तलाशने हेतु जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश.

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हेमन्त के फैसलों से झारखण्ड वासियों के बढ़ रहे हौसले 

September 9, 2022 by najhma Leave a Comment

झारखण्ड : हेमन्त के फैसलों से सभी समस्याओं का स्थायी हल निकल रहा है. और राज्य की जनता पहली बार राहत महसूस कर रही है और अब उनके हौसले बुलंद हैं. 

रांची : झारखण्ड के 22 वर्षों के इतिहास में पहली बार जन पक्ष में सिलसिलेवार तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा फैसले लिए जा रहे हैं. जिसे झारखण्ड के पूरे काल खण्ड में ऐतिहासिक रूप से स्वर्णिम काल माना जा सकता है. ज्ञात हो झारखण्ड एक आदिवासी, दलित, पिछड़ा बाहुल्य राज्य है और गरीब राज्य भी है.

इस राज्य में सबसे लंबा शासन का निर्णायक काल बीजेपी की रही है. लेकिन जन अधिकार के मामले में, राज्य में हर वर्ग की समस्याएं हल होने के बजाए गहराती चली गई. लेकिन हेमन्त के फैसलों से सभी समस्याओं का स्थायी हल निकल रहा है. और राज्य की जनता पहली बार राहत महसूस कर रही है और अब उनके हौसले बुलंद हैं. साथ ही उन्हें नई राह दिखा रही है.

बीजेपी काल में गहरायी मूल समस्याओं का हेमन्त के नीतियों से निकला हल 

ज्ञात हो, बीजेपी के पूर्व की शासन कालों में बाहरियों को समर्पित नीतियों के अक्स में, एक तरफ राज्य के मूल वासियों की नियुक्ति अनुबंधकर्मी के तौर पर हुई तो दूसरी तरफ स्थायी सरकारी कर्मियों के पेंशन जैसे अधिकार को समाप्त कर उनके भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया गया. राज्य का हर वर्ग अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलनरत रहे. राज्य में सभी वर्गों के मूलवासियों का अधिकार हनन हुआ. राज्य में विस्थापन व गरीबी बढ़ी. 

लेकिन राज्य में झारखंडी जनता द्वारा चुनी गई मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन वाली सरकार में ऐसे तमाम समस्याओं का स्थायी हल सिरे से निकल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर पार शिक्षकों की समस्याएं का स्थायी निराकरण हुआ. राज्य कर्मियों की पुरानी पेंशन की मांग पूरी हुई. jpse को नियमावली मिली. वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियाँ हो रही है. 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति के तरफ सरकार बढ़ चली है. 

आदिवासी-दलित-ओबीसी वर्ग से संबंधित समस्याओं का सीएम के फैसलों से निकल रहा हल

झारखण्ड में बीजेपी के पूर्व शासनकाल में आदिवासी-दलित-ओबीसी समुदाय के साथ घोर अन्याय हुआ. निर्दोष आदिवासियों की नक्सल के नाम पर दमन हुआ. आदिवासियों की जमीनें जबरन चहते पूँजीपतियों को लूटायी गई. ईसाई के नाम पर इनके अधिकार छीने गए. cnt-spt ऐक्ट को सजिशन खत्म करने का कुप्रयास हुआ. आदिवासियों को वनवासी कह हिन्दू पौराणिक कथाओं के शब्द असुर से फिर जोड़ा गया. इनकी सामाजिक-पारंपरिक व्यवस्थाओं को हाँसिए पर धकेला गया.  

दूसरी तरफ मूल दलित समुदाय को राजनीतिक जमीन से दूर किया गया. आरक्षित संवैधानिक सीटों पर बाहरी फर्जी प्रतिनिधियों को बिठाया गया. जिससे आरक्षित पदों की मूल भावना बे-अर्थ हुई और अनुसूचित समुदाय अपने अधिकार से बेदखल हुए. वहीं राज्य के ओबीसी वर्ग के आरक्षण में कटौती हुई. जातियों से संबंधित रोजगार-धंधे खत्म हुए. सरकारी शिक्षा व्यवस्था लाचार किए जाने से इन वर्गों का भविष्य अंधकारमय हुआ. हेमन्त शासन में इनकी समायाओं का स्थायी हल निकाल इन्हें संवैधानिक अधिकार से जोड़ा जा रहा है.  

सीएम के निर्णयों से राज्य की महिला हो रही है आत्मनिर्भर 

राज्य में पहली बार हेमन्त सरकार में गंभीरता से महिलाओं को समाज में भागीदार बनाया जा रहा है. राज्य की महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा से जोड़ा गया है. महिलाओं को समर्पित कई योजनाएं चलायी जा रही है. सखी मण्डल की दीदियों को सामाजिक उत्थान में मजबूती से भागीदार बनाया गया है. महिला शिक्षा, रोजगार, न्याय, खेल से लेकर तमाम आयामों में नीतियों के माध्यम से विशेष सहूलियत दे मानुवाद के पितृ सत्ता को चुनौती हेमन्त सरकार द्वारा दी गई है. मसलन, झारखण्ड के 22 वर्ष के इतिहास में पहली बार हेमन्त के फैसलों से झारखण्ड वासियों के हौसले बढ़ते दिख रहे हैं.

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